Followers

Friday, May 10, 2019

ये वक्त जरा रुक

ये वक्त जरा रुक, मेरी भी सुनते जा

तूने तो युगों से, सब कुछ देखा है;
कही गुलशन तो, कही गम की रेखा है;
क्या कोई राह नही की , हर पत्ते हरे हो?
मधुर गीत हो खग की, और फूल खिले हो!
कुछ तो कह, मत चुप रहते जा
ये वक्त........................................................

यत्न करता हूँ, रंगीन दुनिया सजा लूं;
मनहूस भर्री जिन्दगी, शुकर से गुजार लूं;
इस वक्त मुझे बस, एज शैर याद आता है;
वही होता है, जो मंजूरे खुदा होता है;
होगा कभी सबेरा, भरोसा देते जा
ये वक्त........................................

No comments:

Post a Comment