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Saturday, March 28, 2020

मैं तेरे जुल्म की, दास्तान लिखूँगा


तू जुल्म कर,
मैं तेरे जुल्म की,
दास्तान लिखूँगा,
तेरी क्रूरता से पीड़ित,
बेवश और लाचारों की,
आवाज लिखूँगा;
मेरा जमीर,
मेरा वसूल,
मुझे इजाजत नही देता,
कि मैं चुप रहूं,
चुपचाप देखता रहूँ;
नजरअंदाज कर दूं,
दरकिनार कर दूँ,
अन्यायी अत्याचारों को,
मैं लफ्ज हूँ,
हर घाव का,
जल्लादों के जुल्म का,
मैं डरपोक नही,
मुझमे कोई खौफ नही,
बेखौफ अलाप करूँगा,
आवाज दूँगा,
वीभत्स विभीषिका के शिकार,
हर मजलूम का,
तुम बेपनाह जुल्म करो,
हिसाब मैं रखूँगा,
तुम बादशाहत दिखाओ,
तुम लाठी डंडे बन्दूक चलाओ,
पर मैं नही डरूंगा,
मैं नही डिगूँगा;
तेरी हेकड़ियों का,
तेरी हरकतों का,
हर काला चिट्ठा,
मैं सरेआम करूँगा,
खुलेआम करूँगा,
मैं चुप नही रहूंगा;
मुझे मालूम है,
मुझे आभास है,
तू नही मानेगा,
तू तांडव नृत्य करेगा,
यही तेरी फितरत है,
यही तेरी आदत है;
तू बाज नही आएगा,
तू अंजाम देगा,
अपने काले कारनामो को,
घृणित मंसूबों को;
मैं जगजाहिर करूँगा,
मैं उजागर करूँगा,
तुमको,
और तुम्हारी बदमाशी को;
करूँगा, करता ही रहूंगा;
तू क्या सोचता है?
कि तेरे खौफ के आगोश में,
हर कोई आ जाएगा,
तू क्या समझता है?
कि तेरी अंधभक्ति की आंधी में,
हर दीपक, हर चिराग,
बुझ जाएगा,
तू गलत है,
अगर ऐसा सोचता है;
गलतफहमी में है,
अगर ऐसी मनसा रखता है;
दीपक बन जलूँगा,
काली और कलुषित करतूतों की तेरी,
छिपने नही दूंगा,
विस्मृत होने नही दूँगा;
आहतों की आवाज बनकर,
किस्सा सुनाऊंगा,
तेरे गुनाहों को,
जन जन तक पहुँचाऊँगा,
इस पीढ़ी से उस पीढ़ी तक,
हर पीढ़ी तक पहुँचाऊँगा;
मैं तेरे जुल्म की दास्तान सुनाऊँगा,
तू जुल्म कर,
मैं तेरे जुल्म की दास्तान लिखूँगा।

गरीबों की नाजुक छाती

गरीबों की नाजुक छाती पर,
गरीबों का गर्भा नृत्य;
गरीब की तंगहाली को,
गरीब की मजबूरी को,
सीढ़ी बनाकर,
सम्राट बनते हैं,
बादशाह बनते हैं;
भरोसा देकर,
उम्मीद के कसीदों से,
परिवर्तन का;
परिवर्तन होता भी है,
और नही भी,
पर परिवर्तन की,
विभीषिका में पिसता है,
केवल मजलूम;
चन्द फरेबी वादों पर,
न्योछावर हो जाता है,
लहू कुर्बान करता है,
सांसे भी नाम कर देता है,
मक्कार नुमाइंदों पर,
जो दिखाते तो है,
जन्नती ख्वाब,
जेहन में भर देते हैं,
हसरतें हजार,
पर हैं तो आखिर कातिल,
जिन्होंने लाशों के ढेर से गुजरता,
अट्टलिकाओं के रास्ते बनाए हैं;
वादे तो वादे ही रह जाते हैं,
लाशें इतिहास बन जाती हैं,
यादों के पन्नो से भी,
विस्मृत हो जाती हैं,
हर बार यही हुआ है,
और
यही हो रहा है;
यकीन नही तो पूछ लो,
इन गूंगे पहाड़ों से,
ओझल आसमानों से,
द्रुत गति से बहती जलधाराओं से,
जिन्होंने सबकुछ देखा है,
चुपचाप अपलक आंखों से;
रक्तपिपासु तथाकथित नुमाइंदों ने,
हर बार सौदा किया,
इस्तेमाल किया,
अपने महत्वाकांक्षाओं के लिए,
फिर बेच दिया,
सरे बाजार बेच दिया,
लहू लुहान कर दिया,
वादों को,
उम्मीदों को;
संघर्षों में, जंगी आफतों में,
जिन वसूलों का,
जिन सिद्धान्तों का,
भरपूर प्रचार किया,
स्वप्निल सुसुप्त आंखों में,
जागृत किया,
विश्वास और एहसास,
मार दिया, कत्ल कर दिया उन्हें,
दफन कर दिया,
मिटा दिया नमो निशान,
सदा के लिए,
हमेशा के लिए;
खुद खंजर बन भोंप रहा,
पहले से जख्मी लाशों को,
जिन पायदानों पर चढ़कर,
मंजिल हासिल की,
शोहरत, शक्ति और सम्पूर्ण,
संसाधन काबिज की;
पायदानों को कूड़ा कर दिया,
कूड़ेदान में,
सड़ने के लिए छोड़ दिया;
जूझ रहा है,
अब उन्ही जालिमो के कुचक्र में,
जिनकी कभी जजमानी की,
जंगे आजादी से,
आज जंगे जीवन मे फंसा दिया,
उलझा दिया,
हैवानी हरकतों,
और दानवी दांव पेंचों में;
जनसाधारण बहुत,
साधारण होता है;
पर हमेशा वही,
कुटिलों और कातिलों,
की गंदी चालों का शिकार,
एक बेसहारा, असहाय,
मजलूम उदारहण होता है;
हुआ वही,
एक बार फिर,
इस्तेमाल कर,
फेंक दिया,
बदतर, गंदे नालों में,
मरने के लिए,
सड़ने के लिए;
सब हैं बेखबर,
सब हैं रुक्सत,
उनके हालातों से,
कुचल दिया जालिम नुमाइंदों ने,
अंतिम सांस, आखिरी रूह को,
खुद अपने ही हाथों से;
मानवता लाचार हुई,
अपंग, अक्षम,
एक बार पुनः,
अपकृत्य साजिशों से,
घटिया सोच से,
खुद इंसान के हाथों,
इंसानियत की हार हूई।




Friday, March 27, 2020

क्या गुनाह है मेरा?

क्या गुनाह है मेरा,
सिर्फ यही कि,
मैं मजबूर हूँ,
मैं मजदूर हूँ,
मैं गरीब हूँ;
क्या गरीब होना गुनाह है?
मेरा गुनाह सिर्फ यही,
कि मैंने भूखें बच्चों के लिए,
रोटी खोजने निकला,
बीमार मां बाप के लिए,
दवा लेने निकला,
क्या यही है मेरा गुनाह?
मेरा मरना तो तय है,
भूख से या बीमारी से;
इतना कौन सा गुनाह किया मैंने,
इतनी निर्दयता,
इतनी क्रूरता दिखाया मुझपर;
मैं कमजोर हूँ,
मैं निर्बल हूँ,
शायद यही है मेरा गुनाह;
शायद यही है मेरा अपराध;
मुझे तो पता नही,
मैंने कौन सा गुनाह किया,
शायद इन क्रूर रईसों को पता है;
क्या करूँ,
मैं क्या कर सकता हूँ,
अगर बाहर निकलना गुनाह है,
रोटी ढूंढना अपराध है,
तो कैसे मरता देखूँ,
अपने दुधमुए बच्चों को,
कैसे सहूँ,
अपने बूढ़े मां बाप को,
दम तोड़ते हुए,
क्या हाल बना दिया,
डंडों से मार मार के,
हाथ पांव तोड़ दिए,
इतना बेरहम कैसे हो सकते हो?
तुम भी तो इन्सान दिखते हो,
पर इंसानियत नही दिखती,
जरा भी,
तनिक भी;
एक तो गरीब बनाते हो,
गरीब बनाये रखते हो,
जुल्म का अट्टहास करते हो,
मेरी तकलीफों पर,
मेरी जिन्दा गावों पर,
नमक छिड़कते हो,
मिर्च डालते हो,
बार बार हर बार;
दम तोड़ रही है मानवता है,
सिर्फ तुम्हारी वजह से,
तुमने फैलाया विष,
वाइरस और बीमारी,
आखिर मैंने क्या किया?
क्या जुल्म किया मैंने?
यह सब तुम्हारा किया धराया है,
तुम्हारा पाप है,
हम ढो रहें,
सब ढो रहें हैं,
क्यों हर बार अपने कारनामों का,
अपने किये का,
जिम्मा हमपे डालते हो,
ठीकरा हम पर फोड़ते हो;
हम नही चाहते,
तुमसे बराबरी करना,
हम नही चाहते तुझसा बनना,
बस यही आरजू है,
यही विनती है,
कि तुम भी इंसान हो,
मैं भी इंसान हूँ,
इंसानियत दिखाओ,
इंसान होने का फर्ज निभाओ,
निर्बल निरीह को अगर मदद नही कर सकते,
कम से कम कहर न बरपाओ,
इतना भी न सताओ,
कि टूट जाए,
बिखर जाए,
रूह ही मिट जाए।


भारत को भारत जन ही बचा सकते हैं।

भारत की समस्या है,
तो,
भारत को ही समाधान करना है;
भारत जन ही,
भारत को बचा सकते हैं,
मन्दिर मस्जिद, ईश्वर अल्लाह,
गीता कुरान;
सब दुकानदारी है,
नेताओं की,
अमीरों की,
उद्योगपति लोग की;
आम आदमी,
भूखा गरीब,
तो युहीं पिसता रहता है;
अधमरी व्यवस्था में,
हर बार इम्तहान,
गरीब को ही देना पड़ता है;
देशभक्ति का, धर्मभक्ति का,
ईशभक्ति का,
अमीरों की भक्ति का,
नेताओं की भक्ति का;
जर्जर कर दिया,
अपंग कर दिया,
निर्बल कर दिया,
निरीह कर दिया,
भारत को, भारत जन को,
अमीरों की ऐय्याशियों में कोई कमी नही,
रुतबे और रौब में कोई कमी नही,
जश्न अभी भी जिंदा है,
गरीबों की हाड़ मांस पर,
गरीबों की दुखती सांसों,
पर सरगम हो रहा है,
पैशाचिक नृत्य हो रहा है;
मजबूर को आखिर क्या चाहिए?
महंगी गाड़ी,
आलीशान महल,
बिलियन डॉलर,
नही,
बिल्कुल नही,
दो वक्त की सकूं की रोटी में भी,
गरीब खुश हो लेता है,
झुरमुट जैसे झुग्गी में भी शौक से,
सो लेता है,
उसकी नही है आसमानी ख्वाइशें,
उदरपूर्ति भर से तृप्त और संतृप्त रहता है;
नही है उसकी कोई प्रतियोगिता,
बलशाली बाहुबली धनवान,
सत्तासीन होने की,
बस दो वक्त की रोटी,
और सकूं चाहिए,
अपमान तो सहने की आदत पड़ गई है उसे,
रोज हर रोज,
मालिक रईश,
उसकी बैंड बजाते हैं,
गालियों से,
अपशब्दों से,
पर फिर भी वह मुस्कराता है,
क्या है विकल्प उसके पास,
कहाँ जाएगा क्या करेगा?
आज कोई अपमानित करता है,
तो कल कोई और करेगा,
समझौता कर लिया,
उदर के लिए,
बच्चों के लिए,
दो वक्त की रोटी और सकूं के लिए;
अब मत करो और जलील,
और मत करो फजीहत,
इंसान है वह भी,
अगर फुर्सत मिल गई हो,
ऐय्याश पार्टियों से,
मेवे पकवानों से,
सैर सपाटों से,
मजहबी फरेबों,
दंगों से,
इनकीं फिकर कर लो,
थोड़ी मदद कर लो,
इंसान हो, इंसानियत के लिए;
इन्हें क्या पता,
दिन रात इन्हीं का नाम ले लेकर,
इन्हीं का खून पिया जाता है,
तंग नाजुक हालातों में,
इन्हें इनकीं हालत पर छोड़ दिया जाता है,
मरने के लिए,
घुट घुट कर,
सोचो अगर ये नही होंगे,
तो क्या होगा?
विपत्ति में,
उनका साथ दो,
हिम्मत बढ़ाओ,
हौसला बढ़ाओ,
नही तो कातिल का कलंक,
कभी धो नही पाओगे,
भारत के मरने का,
भारत का हारने का,
भारत को भारत जन ही बचा सकते हैं।






Wednesday, March 25, 2020

भारत जीतेगा (कोरोना वायरस Covid 19)


भारत जीतेगा
कोरोना हारेगा।

हिन्दू नही, मुस्लिम नही:
अगड़ा नही, पिछड़ा नही;
अमीर नही, गरीब नही;
काला नही, गोरा नही;
ईश्वर नही, अल्लाह नही;
भगवान नही, बिस्मिल्ला नही;
सिर्फ और सिर्फ आज यहाँ,
भारत का जनजन जागेगा।
भारत जीतेगा,
कोरोना हारेगा।

हर व्यक्ति को आगे आना है,
खुद को भी बचाना है,
परिवार को भी बचाना है,
समाज को,
देश को,
पूरी मानवता को बचाना है;
यही मानवता है,
यही धर्म है;
व्यक्ति और कोई वाद नही,
आज सिर्फ भारत लड़ेगा।
भारत जीतेगा,
कोरोना हारेगा।

न ईश्वर से आस,
न धर्म का आदेश,
मुल्ला पंडित पादरी का,
न कोई अध्यादेश;
झाड़ फूंक जादू टोने,
न चमत्कार पर विश्वास;
सिर्फ विज्ञान और पुरुषार्थ
न कोई अंधविश्वास;
विवेक, बुद्धि, संयम की,
शक्ति से कोरोना भागेगा।
भारत जीतगा,
कोरोना हारेगा।

सरकार नही, संस्था नही,
धर्म नही, कोई आस्था नही;
संगठन और समुदाय का,
कोई वाद और प्रतिवाद नही,
भारत को बचाने में सिर्फ,
भारत ही समर्थ है;
आडम्बर अंधविश्वासों का,
टपोरबाजी सब व्यर्थ है;
भारत के भारत बनने से,
भारत निश्चय जीतेगा।
भारत जीतेगा,
कोरोना हारेगा।

पहले भी तूफां आये है,
हम भारत बन के दिखाएं हैं;
भारत को तोड़ने की हर कोशिश को,
हम असफल करके दिखाएं है;
भारत बचाने के वख्त में
अद्भुत एकजुटता दिखाएं हैं;
दुर्दम दुष्कर शत्रु को,
पराजित करके दिखाएं हैं
भारत बल सबल समक्ष,
वायरस कोरोना दम तोड़ेगा;
भारत जीतेगा,
कोरोना हारेगा।




सलाम भेंट (कोरोना वायरस covid 19)


सलाम भेंट,
नमन वन्दन,
हे महावीरों!
तुम्हें अभिनन्दन।

डॉक्टर्स, पुलिस, सफाईकर्मी,
तुम पूज्य हो, आराध्य हो;
तुम देवतुल्य, तुम ईश्वर हो;
सच्चे साथी, तुम हमराज हो;
तेरी बहादुरी, तेरी वीरता को,
मेरा नमन, मेरा वन्दन।

तेरी भी हसरतें हैं,
तेरी भी ख्वाहिशें है;
उम्मीदें हैं उमंगे हैं,
और मासूम चाहतें हैं;
पर तुम तो महान हो,
इन्सान नही भगवान हो;
जिंदगियां बचाने की होड़ में,
खुद की तकलीफों से अन्जान हो।
तेरी तत्पर इंसानी सेवा को,
सलाम,नमन, अभिनन्दन।

न सोने की फुरसत,
न खाने का समय,
हाहाकार हरतरफ,
चीख चीत्कार हर तरफ,
कोई दम तोड़ रहा है,
कोई अंतिम सांसें ले रहा है,
खुद मौत से घिरा,
और मौत से संघर्ष कर रहा है,
घर पर बीबी बिलखती,
और बच्चा इंतज़ार कर रहा है।
निःशब्द हूँ,
स्तब्ध हूँ,
तेरी कर्तव्य परायणता को नमन,
तेरी मानवता शूरवीरता को नमन।


Tuesday, March 24, 2020

हम जीतेंगे (Corona Virus Covid 19)



हम जीतेंगे,
हाँ, हम जीतेंगे।

यह त्रासदी है, यह महामारी है;
यह चुनौती है, गंभीर बीमारी है;
पर हिम्मत है हममे,
हौसला भी है;
झंझावातों से लड़ने का,
जज्बा भी है हममे;
हम एक हैं, एकजुट हैं;
इस वाइरस से लड़ने का,
हमारा संकल्प अद्भुत है;
हम लड़ेंगे,
हम जीतेंगे;
हाँ, हम जीतेंगे।

हर बार, बार - बार,
कभी प्रकृति का ताण्डव,
कभी महामारी का मंजर,
असीम समुद्र
कभी अन्जान अंतरिक्ष,
हमको ललकारते हैं,
हमको डराते हैं;
हमारा शक्ति, परीक्षण करते हैं;
पर हर बार,
हम और ताकतवर,सबल,
बनकर उभरते हैं;
पुनः जंगे वायरस में,
हम जीतेंगे,
हाँ, हम जीतेंगे।



Thursday, March 19, 2020

Kanshiram (कांशीराम) -बहुजन नायक


बाबा साहेब के मिशन को आगे ले जाने का कार्य  यदि किसी ने किया है तो एक ही नाम स्मरण होता है "मान्यवर कांशी राम" l मान्यवर जी का सम्पूर्ण जीवन त्याग, समर्पण व संघर्ष की एक मिसाल रहा है l मान्यवर कांशीराम जी ने तेरह रुपये की रबड़ की चप्पल पहनकर चले, उन्होंने भारतीय राजनीति को फिर से परिभाषित किया या यूँ कहें भारतीय राजनीति का एक अलग मुहावरा गढ़ा l बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने के लिए मान्यवर साहेब सब कुछ त्याग कर भारत भ्रमण करते रहे और जीवन भर अपने घर नहीं गए l मान्यवर जी का जन्म 15 मार्च 1934, ग्राम खबासपुर, जिला रोपड़ पंजाब में हुआ l कांशीराम जी के पिता का नाम हरिसिंह और माता का नाम बिशन कौर था l मान्यवर कांशीराम जी ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में सन 1956 में भौतिकी और रसायन शास्त्र विषय लेकर रोपड़ के ही गवर्नमेन्ट कॉलेज से स्नातक उपाधि प्राप्त की l

इस विशिष्ट योग्यता के आधार पर ही मान्यवर श्री कांशीराम जी को डिफेंस रिसर्च एण्ड डिज़ाइन आर्गेनाइजेशन (डी.आर.डी.ओ.) की महाराष्ट्र में पुन स्थित विस्फोटक अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (ई.आर.डी.एल.) में 'अनुसंधान अधिकारी' के पद पर नियुक्ति मिली l

1962 - 63 में मान्यवर जी ने अपने कार्यालय में जातिवादी मानसिकता से ग्रस्त वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर जयंती एवं बुद्ध जयंती का अवकाश निरस्त किये जाने का तीव्र विरोध किया l इस भेदभाव पूर्ण रवैये से अनुसूचित जाति के कर्मचारियों में आक्रोश तो था लेकिन विरोध करने का साहस नहीं था क्योकि ये वरिष्ठ अधिकारीयों से डरते थे ऐसी हालत में दीनाभान नामक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ने इस निर्णय का विरोध किया l दीनाभान राजस्थान का निवासी था और उसे निलंबित कर दिया गया l दीनाभान के निलंबित होते ही कांशीराम बेचैन हो उठे और उस कर्मचारी के घर जा पहुंचे l दीनाभान ने मान्यवर कांशीराम जी को बाबा साहब की लिखित पुस्तक दी जिसका नाम था "जाति भेद का उच्छेद" जिसे पढ़कर मान्यवर कांशीराम जी बहुत ही प्रभावित हुए और दीनभान के केस को कोर्ट में ले गए और दीनभान को न्याय दिलाने में कामयाब हुए, बाबा साहब अम्बेडकर जयन्ती और बुद्ध जयन्ती पर अवकाश पुनः लागू किया गया और दीनभान को नौकरी पर पुनः बुलाया गया बस यही से मान्यवर जी मनुवादियों के अत्याचारों को रोकने के लिए तथा बाबा साहब के मिशन को आगे बढ़ाने का एक दृढ़ संकल्प लिया l अपनी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और चल पड़े सोती कौम को जगाने, हलाकि अभी उनके साथ दूर-दूर तक कोई नहीं नज़र आ रहा था पर उन्होंने अपना संघर्ष जरी रखा l इसी बीच उनकी मुलाकात बहन कु. मायावती से हुई l जिन्होंने भी मान्यवर जी का कदम से कदम मिला कर साथ दिया l

मान्यवर कांशीराम जी बाबा साहेब के विचारों से काफी प्रभावित हुए खास तौर से 18 मार्च 1956 में शोषितों व उपेक्षित लोगों के लिए दिए गए मार्मिक भाषण से जिसमें बाबा साहेब ने कहा था कि

".... मेरे ज्यादा समय पढाई-लिखाई के मामले में, रिजर्वेशन के मामले में तथा हमारे समाज में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील व अधिकारी पैदा हो, इस काम में लग गया है l लेकिन मैं आज देख रहा हूँ कि ये पढ़े-लिखे कर्मचारी तो एक अगल क्लास (वर्ग) बनकर रह गए है और इनकी हमारे सामने क्लर्कों की एक फ़ौज खड़ी हो गयी है जो कि अपने स्वार्थ के आगे कुछ भी देखने को तैयार नहीं है l अपने गरीब और पीड़ित भाइयों-बहनों के बीच जाकर, उनके उत्थान के लिए काम करने के बजाय, ये लोग सिर्फ अपना पेट पालने में लगे हुए है...."

काफी अध्ययन के बाद मान्यवर कांशीराम जी इस नतीजे पर पहुंचे कि इस देश में फैली सड़ी-गली ब्राह्मणवादी व्यवस्था एक ही औषधि से ध्वस्त की जा सकती है वह है देश में फैली छः हज़ार सात सौ सैंतालिस जातियां जो टुकड़ों में बंटी है वह केवल एक जुट हो जाये और इस संगठन रुपी औषधि को तैयार करने में ज्यादा समय नहीं लगा लेकिन यह औषधि जन-जन को पिलाने में मान्यवर जी ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया और यह औषधि जिन लोगों ने पी ली वे स्वास्थ्य हो कर जीवन जीने लगे और जिन्होंने ने नहीं पी वह आज भी बीमार नज़र आ रहे है l

6 दिसम्बर, 1978 को दिल्ली में मान्यवर श्री कांशी राम जी ने देश भर से आये शिक्षित कर्मचारियों को इकठ्ठा कर एक सम्मलेन में "बामसेफ" की विधिवत घोषणा की l बामसेफ/BAMCEF यानि (All-India Backward (SC.ST.OBCs) And Minority communities Employees Federation ) l बामसेफ की सफलता के बाद संघर्ष करने के लिए 6 दिसम्बर 1982 को "दलित शोषित समाज संघर्ष समिति" अर्थात डी.एस-4 का गठन किया l

एक बार मान्यवर जी का बहुजन संगठन नामक पेपर बंद हो गया तब मान्यवर कांशीराम जी के पास एक उद्योग पति आये और बोले मैंने आप के सहयोग के लिए कुछ पैसा देना चाहता हूँ लेकिन मान्यवर जी ने पैसा लेने से इंकार कर दिया और बोलो "अगर मैं आज आप से पैसा ले लेता हूँ तो मुझे आप के इशारे पर काम करना पड़ेगा इसलिए आप यहाँ से चले जाएँ l इसके पश्चात मान्यवर जी ने इलाहाबाद में एक सभा बुलाई और लोगों से कहा कि अगर हमारा बहुजन संगठन बंद हो जायेगा तो हमारा भी जिन्दा रहना बेकार है l उसी समय बहुजन समाज की बहनों ने अपने अपने गहने उतार कर मान्यवर जी के चरणों में डाल दिए l

मान्यवर श्री कांशी राम जी ने 14 अप्रैल 1984 यानि बाबा साहेब के जन्मदिन के मौके पर अपनी अध्यक्षता में "बहुजन समाज पार्टी" की स्थापना की l पहली बार 1992 में इटावा, उत्तर प्रदेश से और दूसरी बार 1996 में होशियारपुर पंजाब राज्य से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा 1998 में उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद भी बने l बाबा साहेब डा० बी० आर० आंबेडकर जी ने हमें वोट का अधिकार दिलाया और मान्यवर जी ने उसे प्रयोग करने का सही तरीका बताया l

ऐतिहासिक पुरुष मान्यवर कांशीराम जी 24 घंटे में 18 घंटे पार्टी को देकर सामाजिक परिवर्तन की लहर को काफी आगे बढ़ाया l लेकिन मनुवादियों ने मान्यवर जी की राह में तमाम तरह के रोड़े बिछाए लेकिन मान्यवर जी अपने प्रयासों से कभी भी विचलित नहीं हुए, उनका प्रयास एक विकलांग समाज को बदलने का था बीमार समाज को बीमार रहते हुए भी दिन रात उस समाज का उपचार करते रहे ऐसे ऐतिहासिक पुरुष को भुलाया नहीं जा सकता l

आज-कल हम देखते है कि अधिकतर राजनेता लिखा हुआ भाषण पढ़ते है पर मान्यवर जी की यह खासियत थी कि वह कभी तैयार किया हुआ भाषण नहीं सुनाया, कहा जाता है कि उनका माइंड कम्प्यूटर था वह जिस कार्यकर्ता से एक बार मिल लेते थे तो वह चाहे कितने दिनों बाद मिले शीघ्र ही उनका नाम पुकार कर गले लगा लेते थे l हर बात उन्हें याद रहा करती थी l

मान्यवर जी कहते थे कि, हमारे साथ वही लोग चल सकते है जिन्हे न धूप की चिंता हो और न पेट की l मुझे ऐसे लोगों की जरुरत नहीं है जो छाँव की तलाश में रहे और जिस अपने पेट की चिंता हो l हमें भारत में आज़ादी लानी है इस लिए सामाजिक प्रबोधन और वैचारिक क्रांति की जरुरत है l जो सम्मान और अपमान की परवाह न करते हुए अखंड क्रियाशील रहेगा वही समाज में परिवर्तन ला सकता है l

मान्यवर जी ने अपना सारा जीवन बाबा साहेब के मिशन को आगे ले जाने में लगा दिया, और सफल भी हुए l उनकी सफलता बहुजन समाज पार्टी के रूप में देखने को मिलती है l

15 सितम्बर, 2003 को आन्ध्र प्रदेश के जिला पशिचमी गोदावरी स्थित भीमावरम की जनसभा को संबोधित करने के बाद नरसापुर एक्सप्रेस ट्रेन से हैदराबाद लौटते हुए, मान्यवर जी को रास्ते में ही ब्रेनस्ट्रोक हुआ l मान्यवर कांशीराम जी डायबिटीज और ह्रदय रोग से भी पीड़ित थे l

हर किसी को एक न एक दिन मरना है, हर किसी को एक-न-एक दिन मौत आनी ही आनी है, और फिर इसी क्रम में मान्यवर श्री कांशीराम जी का 9 अक्तूबर, 2006 को मृत्यु हो गई, उनके निधन से राष्ट्र ने एक अमूल्य नेता खो दिया है इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है l उस समय पूरे देश में एक शोक लहर छा गयी थी क्योकि उनके अनुयायी देश भर में थे और अब उन्हें "बहुजन नायक" के रूप में याद किया जाता है l

फौलादी इरादों और कठोर परिश्रम के प्रतीक, चट्टान की तरह दृढ़, आजीवन विवाह न करके सम्पूर्ण बहुजन समाज को अपना परिवार बनाकर उनके उद्धार और उत्थान के लिए पूरा जीवन निछावर करने वाले मान्यवर कांशीराम जी को देश का बच्चा-बच्चा नमन करेगा, इतना त्याग शायद अन्य इंसान में होना कठिन बात है l यह कुर्बानी बहुजन समाज की आज़ादी का प्रारूप है l

कांशी राम आप की नेक कमाई l
आप ने सोती कौम जगाई l l

इटली की कहानी (CORONA VIRUS)


 CORONA VIRUS कितना खतरनाक है. इससे आप समझ पाएंगे कि इटली में कितनी तेजी और भयानक तरीके से कोरोना फैला है. ये मैसेज अंग्रेजी में लिखा एक ट्विटर थ्रेड (मैसेज श्रंखला) है, जिसे ताबिश सिद्दीकी ने हिंदी में ट्रांसलेट किया है. पढ़िए और समझिये कि हमारा और आपका सामना किससे हुआ है 👇

भाग 1

अगर आप अभी भी अपने दोस्तों के साथ घूम रहे हैं, होटल जा रहे हैं, पार्टी कर रहे हैं और ऐसे दिखा रहे हैं जैसे ये (कोरोनावायरस) आपके लिए कोई बड़ी मुसीबत नहीं है, तो आप बहुत बड़े भ्रम में हैं.. अपने आप को संभाल लीजिये.. नीचे का सारा मैसेज एक इटालियन लोगों के द्वारा पोस्ट किया गया है.. जो कुछ भी उन्होंने जैसा भी लिखा है उसे वैसा ही लिखा जा रहा है:

“सारी दुनिया के लिए सन्देश,, जिन्हें ये पता नहीं है कि उनका सामना किस आपदा से होने वाला है”

जैसा कि मैं समझता हूँ इस वक़्त सारी दुनिया को पता है कि इस वक़्त सारा इटली क्वारंटाइन किया जा चूका है.. यानि उसे पूरी तरह से बंद किया जा चुका है.. ये स्थिति बहुत बुरी है.. मगर उन लोगों के लिए ज़्यादा बुरी है जो ये सोचते हैं कि ये उनके साथ नहीं होगा

हमे पता है कि आप कैसा सोच रहे हैं.. क्यूंकि हम भी पहले ऐसे ही सोच रहे थे..

आईये देखें कि ये सब कैसे शुरू हुवा:

स्टेज प्रथम (पहला चरण):

आपको पता होता है कि कोरोना वायरस ऐसी कोई चीज़ है.. मगर आपके देश में ये अभी अभी दिखना शुरू हुवा है.. इसलिए आप सोचते हैं कि डरने की कोई बात नहीं हैं.. क्यूंकि ये बस एक तरह का ज़ुकाम है.. और वैसे भी मैं 75+ साल का हूँ नहीं इसलिए मुझे इस से क्या डरना

फिर प्रथम चरण आगे बढ़ता है:

और आप सोचते हैं कि ये क्या हर कोई पागल हो रहा है मास्क और टॉयलेट पेपर के लिए.. ऐसा कुछ तो होने वाला है नहीं.. मेरी ज़िन्दगी तो आराम से चलती रहेगी

फिर आता है..

स्टेज द्वितीय (दूसरा चरण)

धीरे धीरे.. देश में मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है.. और सरकार एक दो शहरों कि सीमाएं प्रतिबंधित कर देती है.. और आपको ये समझाती है कि डरने की कोई बात नहीं है.. सब कुछ ठीक है (22 फ़रवरी को ऐसा इटली में हुवा था)

द्वितीय चरण यानि दूसरा चरण आगे बढ़ता है:

कुछ लोगों की मौतें होती हैं.. मगर वो सब बूढ़े लोग होते हैं.. और मीडिया उस पर हाय तौबा मचाता है... हम सोचते हैं कि ये अच्छी बात नहीं है.. लोग अपने दोस्तों यारों से मिलते रहते हैं.. नार्मल ज़िन्दगी चलती रहती है.. और हमे ये लगता है कि हमे कुछ नहीं होगा

त्रित्तीय चरण (तीसरा चरण)

धीरे धीरे संक्रमित लोगों का आंकडा बढ़ने लगता है.. एक दिन में ही दुगने लोग संक्रमित हो जाते हैं.. मौतों का आंकड़ा बढ़ जाता है.. और सरकार चार बड़े इलाक़ों को प्रतिबंधित कर देती है जहाँ से सब से ज्यादा केस हैं (ये 7 मार्च को इटली में होता है).. फिर इटली के पच्चीस 25% लोगों को घरों में बंद कर दिया जाता है

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भाग 2

फिर आता है..

स्टेज तृतीय (तीसरा चरण)

फिर कुछ क्षेत्रों में स्कूल, बार और रेस्टोरेंट बंद कर दिए जाते हैं.. मगर ऑफिस अभी भी खुले हैं.. सरकारी नियमों को मीडिया और अखबार पहले ही प्रकाशित कर देते हैं

स्टेज तृतीय आगे बढ़ता है:

इटली के क़रीब दस हज़ार लोग, जिन्हें दूसरे इलाक़ों में सरकार ने रोक कर रखा था वो एक ही रात में वहां से निकलकर अपने अपने घर वापस पहुँच जाते हैं.. और इटली के लगभग पिछत्तर प्रतिशत लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में व्यस्त रहते हैं

स्टेज तृतीय यानि तीसरा चरण और आगे बढ़ता है:

इटली के लोग अभी भी इस वायरस की आपदा नहीं समझ पा रहे हैं.. हर जगह इटली में लोगों को ये बताया जा रहा है कि थोड़ी थोड़ी देर में अपने हाथ धुलें.. लोग ग्रुप में या भीड़ में न खड़े हों.. टीवी पर हर दस मिनट में ये समझाया जा रहा है.. मगर ये बातें लोगों के दिमाग़ में नहीं बैठ रही हैं

फिर आता है..

स्टेज चतुर्थ (चौथा चरण):

इटली में हर जगह स्कूल और कॉलेज कम से कम एक महीने के लिए बंद कर दिए गए हैं.. नेशनल हेल्थ इमरजेंसी लगा दी जाती है.. सारे अस्पतालों को ख़ाली करवा के कोरोनावायरस के मरीजों के लिए जगह बना दी जाती है

स्टेज चतुर्थ (चौथा चरण) और आगे बढ़ता है:

अब इटली में डॉक्टर और नर्सों की कमी पड़ने लगी है.. अब जितने भी डॉक्टर रिटायर हो चुके हैं उन्हें भी वापस नौकरी पर बुला लिया जाता है.. जिस छात्रों कि डॉक्टरी की पढाई का दूसरा साल हुवा है उन्हें भी नौकरी पर बुला लिया जाता है.. किसी भी डॉक्टर और नर्स के लिए कोई भी शिफ्ट नहीं है.. चौबीस घंटे काम करना है सबको अब.. डॉक्टर और नर्स भी संक्रमित हो रहे हैं अब और उन लोगों से उनके परिवारों को भी वायरस अपनी चपेट में ले रहा है

स्टेज चतुर्थ (चौथा चरण) और आगे बढ़ता है:

अब निमोनिया के बहुत ही ज्यादा मरीज़ बढ़ गए हैं... और बहुत सारे लोगों को ICU की ज़रूरत है और अब ICU में सबके लिए जगह नहीं है.. इटली में अब वो स्थिति आ चुकी है जहाँ डॉक्टर अब सिर्फ़ उन्हीं का इलाज कर रहे हैं जिनके बचने की उम्मीद होती है.. मतलब अब बूढ़े, और अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों का इलाज डॉक्टर नहीं कर पा रहे हैं क्यूंकि अब डॉक्टर को क्रोना वायरस वाले मरीजों को ही बचाना है.. क्यूंकि अब अस्पताल में सभी के लिए जगह नहीं बची है

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भाग 3

स्टेज चतुर्थ (चौथा चरण) आगे बढ़ता है:

अब लोग मर रहे हैं क्यूंकि अस्पतालों और ICU में जगह नहीं है.. मेरे एक डॉक्टर दोस्त ने मुझे कॉल कर के बताया कि उसने तीन लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया क्यूंकि जगह नहीं थी.. नर्स रो रही हैं क्यूंकि वो मरते हुवे लोगों के लिए कुछ नहीं कर सकती हैं सिवाए उन्हें ऑक्सीजन देने के

मेरे एक दोस्त का रिश्तेदार कल मर गया क्यूंकि उसका इलाज नहीं हो पाया.. अब क्रोना वायरस हर तरफ़ पूरी तरह से फैल चुका है

फिर आता है..

स्टेज पांच (पाँचवाँ चरण):

याद कीजिये उन बेवकूफों को जिन्हें सरकार ने शुरुवात इटली के कुछ राज्यों में रोक के रखा था, क्वारंटाइन किया था मगर वो अपने अपने घर वापस चले आये थे? उन्हीं की वजह से अब सारी इटली को मार्च 9 को क्वारंटाइन कर दिया गया

अब सरकार का एक ही लक्ष्य है कि कैसे इसे ज्यादा से ज्यादा फैलने से रोका जाय

लोगों को अपने काम पर जाने दिया जा रहा है.. ज़रूरी सामान की खरीदारी करने दी जा रही है.. व्यापार सारे खोल के रखे गए हैं.. क्यूंकि अगर ऐसा न किया तो सारी इकॉनमी धराशायी हो जायेगी.. मगर अभी भी आप अपने इलाक़े से बाहर नहीं जा सकते हैं जब तक आपके पास उसके लिए कोई बहुत ज़रूरी वजह न हो

मगर अभी भी एक समस्या बनी हुई है.. क्यूंकि कुछ लोग समझते हैं कि उन्हें कुछ नहीं होगा.. वो अभी भी दोस्तों के साथ बाहर जा रहे हैं... घूम रहे हैं ग्रुप में.. शराब पी रहे हैं और ऐश कर रहे हैं

फिर आता है..

स्टेज छः (छठां चरण):

दो दिन पहले ये घोषणा कर दी गयी कि अब सारे व्यापार, शौपिंग माल, रेस्टोरेंट, बार और हर तरह की दुकाने बंद रहेंगी.. सिर्फ़ सुपर मार्केट और दवाखाने के अलावा.. और अब आप सिर्फ़ तभी अपने इलाके से कहीं बाहर जा सकते हैं अगर आपके पास उसकी कोई बहुत बड़ी वजह है और उसके लिए आपके पास एक सर्टिफिकेट होना चाहिए

उस सर्टिफिकेट में आपके बारे में सारी जानकारी होती है.. जिसमे आपका नाम, पता और आप कहाँ से आ रहे हैं और कहाँ जा रहे हैं ये लिखा होता है

जगह जगह पुलिस के चेक पॉइंट बने हैं जहाँ आपको चेक किया जाता है

इटली में अगर अब आप अपने घर से बाहर अब पकडे जाते हैं तो आपके ऊपर 206 पौंड का जुर्माना लगाया जाता है.. अगर आप बहार निकलते हैं और आप क्रोना वायरस से संक्रमित हैं तो आपको एक से लेकर बारह साल की जेल होगी

आख़िरी सन्देश:

ये मैं १२ मार्च को लिख रहा हूं और इस वक़्त तक के ये हालात है जो मैंने ऊपर बताया.. इसका ध्यान रखिये कि ये सब बस हमारे यहाँ दो हफ्ते के अंदर हो गया.. सिर्फ़ पांच दिन लगे स्टेज तीन से आज तक के दिन तक आने में हमे

दुनिया के दूसरे देश अभी धीरे धीरे उन चरणों में पहुँच रहे हैं जिनसे हम गुज़र चुके हैं.. इसलिए मुझे आप लोगों से ये कहना है कि “आपको कोई अंदाज़ा नहीं है कि आप के साथ क्या होने वाला है”

क्यूंकि दो हफ्ते पहले मैं आपके ही जैसा सोचता था और मुझे लगता था कि हमे कुछ नहीं होगा.. और ये सब इस वजह से नहीं हो रहा है कि ये वायरस बहुत खतरनाक है.. बल्कि ये सब इस वजह से हो रहा है कि ये वायरस ऐसी परिस्थितियां पैदा कर देता है जिसका सामना करने में हम सक्षम नहीं हैं

ये देख कर बहुत दुःख हो रहा है क्यूंकि कुछ देश ये सोच रहे हैं कि उनको कुछ नहीं होगा.. और वो इसके लिए ज़रूरी बचाव नहीं कर रहे हैं.. जबकि वो समय रहते अगर बचाव कर लें तो बहुत फायदा होगा

इसलिए.. कृपया अगर आप इसको पढ़ रहे हैं तो सजग हो जाईये.. क्यूंकि इसको इग्नोर करने पर इस समस्या का हल नहीं निकलेगा.. अमेरिका जैसे देशों में ऐसे कितने लोग होंगे जो संक्रमित होंगे और उनका पता नहीं चल पाया होगा

हमारी इटली की सरकार ने इस बारे में बहुत अच्छा काम किया.. और वो ये किया कि उन्होंने पूरी कोशिश की अब इस वायरस को जहाँ भी हो रोक दिया जाए.. उसके लिए उन्हें बहुत कठोर क़दम उठाये मगर वो सही थे.. चाइना ने भी इस तरह से इस पर क़ाबू पाया था... सारे इलाके बंद कर के लोगों को घरों में क़ैद कर दिया था

सरकार लोगों की मदद कर रही है.. उनके बैंक की किश्त माफ़ करके और लोगों के व्यापार में मदद कर के.. मुझे ये चीज़ परेशान कर रही है कि अगर ये सारे देशों में हो गया तो क्या होगा

इसलिए अगर आप ऐसे इलाक़े में हैं जहाँ आपके आसपास क्रोना वायरस से संक्रमित मरीज़ हैं.. तो आप बस एक या दो हफ्ते हम से पीछे हैं.. और आप हमारी सारी बातों को धीरे धीरे समझेंगे.. इसलिए मेरी आप लोगों से यही गुजारिश हैं कि आप अपना बचाव ख़ुद करें.. और ऐसा व्यवहार मत कीजिये कि आपको कुछ नहीं होगा.. इसलिए अगर आप रह सकते हैं तो “घरों में ही बंद रहिये”।

कोरोना वायरस (कोविद 19)


आज कल 'कोरोना' नामक वायरस ने भयंकर तबाही मचाना शुरू कर दिया है ।अगर आप पिछले सदी तथा पिछले वर्षों पर नजर डालें तो आप देखेंगे कि धरती पर तमाम प्रकार की बीमारियों ने तबाही मचाया था और काफी मानव जीवन को नुकसान पहुंचा दिया था ।अभी भी कुछ बचे खुचे बहुत बुजुर्ग लोग हैजा व प्लेग (तामून) का जिक्र करके सिहर जाते हैं।आज हम इस पर आपसे अपना विचार साझा करते हैं।
मनुष्य, पशु,पंक्षी तथा पेड़-पौधे सभी प्रकृति द्वारा उत्पन्न किए गए  हैं जिन्हें लोग अपनी भाषा में ईश्वर की संज्ञा देते हैं।उपरोक्त सभी में मनुष्य सबसे अधिक बुध्दिमान तथा ताकतवर है ।लेकिन मनुष्य को अपनी क्षमता का अहंकार हो गया है और उसमें अनेकानेक बुराइयाँ और बढ़ गयी हैं।कुछ उदाहरण दे रहा हूं।
एक मनुष्य दूसरे मनुष्य पर जुल्म करता है, नंगा करता है ।बेइज्जत करता है ।अत्याचार करता है ।अपना सुखी रहना चाहता है, दूसरे को दुखी देखना चाहता है ।मनुष्य से मनुष्य भेद करता है ।इत्यादि -इत्यादि ।
इतना ही नही, वह पशु-पक्षियों को अपने स्वार्थ के लिए तरह-तरह की यातनाएं देता है और कुछ को अपने जिह्वा का स्वाद बना लेता है ।
ऐसे में जब प्रकृति को बर्दाश्त नहीं होता है तो मानव को संतुलित करने के लिए अपने रूप को प्रदर्शित करता है चाहे वह अग्नि के रूप में हो,चाहे बाढ़ के रूप में हो,चाहे सूखा के रूप में हो,चाहे महामारी के रूप में हो, चाहे भूकम्प के रूप में हो और चाहे बैक्टीरिया या वायरस के रूप में हो।मेरे बाबा बताते थे कि जब उनके युवा जीवन काल में प्लेग  (तामून )  रोग आया था ,उस समय वह घर के घर बर्बाद कर दिया था ।लोग एक शव की अन्तिम क्रिया सम्पन्न करके घर पहुँचते ,पता चलता था कि किसी अन्य घर से रोने की आवाज सुनाई लगने लगती थी और फिर लोग उसी हालत में दूसरे शव के अन्तिम क्रिया के  लिए तैयार हो जाते थे ।बहुत काफी बर्षों के बाद इस पर नियंत्रण पाया जा सका ,तब तक बहुत से मानव जाति का नुकसान हो चुका था ।
यह निर्विवाद सही है कि प्रकृति किसी भी असंतुलन को स्वयं ठीक करती है ।चूंकि पृथ्वी पर संतुलन बिगड़ा हुआ है, अतः उसे  सही करने के लिए 'कोरोना ' वायरस आ गया है और भयंकर तबाही मचा रहा है ।अभी कुछ दिन पहले इसका जन्म हुआ है और इतनी तबाही मचा रहा है, जब शयाना होगा तब क्या करेगा, यह सोचने का विषय है ।लोगों में 'कोरोना' का इतना आतंक हो गया है कि लोग एक दूसरे से हाथ मिलाना बन्द कर दिए हैं।मुंह को मास्क से ढक कर चलते हैं।एक जगह से दूसरी जगह, एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश और यहाँ तक कि एक देश से दूसरे देश में तथा सार्वजनिक स्थानो व भीड़भाड़ वाले स्थानों में जाना-आना कम कर दिए हैं।दूसरे देश में बसे लोग उनके देश भेजे जा रहे हैं।ऐसा पता चला है कि एक देश अपने ही देश के कोरोना ग्रस्त लोगों को जान से ही मार दे रहा है।न रहेगा बाँस और न बजेगी बाँसुरी।        मेरा अनुमान है कि अगर मनुष्य नहीं सुधरा तो भविष्य में 'कोरोना' के साथी या 'कोरोना' की फौज भी आ सकती है और फिर कितना मानव जाति का नुकसान होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल होगा ।कोरोना अब तो पशु-पक्षियों में भी प्रवेश कर रहा है और इस प्रकार मानव जीवन को काफी संकट में डाल दिया है ।
मेरा विचार है कि प्रकृति का सम्मान करने से,उसके प्राणियों से प्रेम करने से प्रकृति किसी निदान का रास्ता प्रशस्त कर सकती है अथवा किसी शोधकर्ता को गाइड कर सकती है ।इसे मानना ही होगा कि प्रकृति अपने बच्चों में कोई भेद नहीं करती है।वह सबको किसी न किसी रूप मे  संरक्षण प्रदान करती रहती है ।आओ! हम सब सदाचार से जीवन जियें।अपना आहार व खान-पान और शुध्द रखें।किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुचाएं।
सब्बेसत्ता सुखी होन्तु ,सब्बे होन्तु च खेमिनो ।
सब्बे भद्राणि पस्सन्तु मा किञ्ची दुक्खमागमा ।।
-प्रकृति की वन्दना करो।

Corona Virus (Covid -19)

कारोंना वायरस बडे शहरो और आस पास के इलाकों में फ़ैल चुका है,

1) इस वायरस का आकार 400 से 500 माइक्रोन होता तो कोई भी मस्क इसे रोक सकता है। ज्यादा कीमत का मास्क लेने की जरूरत नहीं।

2) यह वायरस हवा में नहीं रहता , यह किसी वस्तु पर य किसी जीव पर ही एक जगह से दूसरी जगह जाता है।
इसलिए यह हवा से नहीं फैलता।

3)यह वायरस धातु पर पड़ा हो तो 12 घंटों तक ही जीवित रहता है, किसी ऐसी संक्रमित धातु को छूने के बाद साबुन और पानी से अच्छे तरह हाथ धोएं।

4) कपड़ों पर यह वायरस 9 घंटों तक रहता है, कपड़ों को अच्छे तरह साबुन से धोएं और धूप में सूखने से मकसद पूरा होता है।

5) हाथों पर यह वायरस 10 मिनट तक रहता है, इसलिए एल्कोहोल स्ट्रिलाइजर को लगाकर बचाव करे , जेब में रखने की आदत डाले।

6) यह वायरस 26 से 27 डिग्री तापमान पर आने मर जाता है, इसलिए गर्म पानी पिएं, और सूरज की धूप लेे , आइस्क्रीम और ठंडे प्रदार्थ खाने से परहेज़ करें।

7) गर्म नमक के पानी से गरारे करें , यह वायरस को फेफड़ों तक पहुंचने से रोकता है।

8) भीड़ भाड़ वाले स्थानों में जाने से बचें ।

इन सभी बातों का पालन करें और कोरोना से बचें। *सावधान:--
------------------
★ सर्दी बिल्कुल नही होने दें ।
★ जुकाम बुखार आते ही *क्रोसिन एडवांस* सुबह दोपहर शाम को 1-1 गोली 3 बार लेवें। ●-●-●
★ विक्स का इन्हेलर पास में रखें।
★ *रात सोते समय नाक कान गले और माथे पर विक्स लगावें।*

*कोरोना वायरस देश में दस्तक दे चुका हैं।*

*चॉकलेट , आइसक्रीम,  कोल्ड ड्रिंक,  कोल्ड कॉफी,  फास्ट फूड,  ठंडा दूध,  बासी मीठा दूध,  बड़ा पाव,  बेकरी की बनी चीजें,  पेस्टी, केक ये सब चीजें बंद करें।* कम से *अप्रैल माह* तक जब तक की वातावरण का तापमान नहीं बढ़ जाता।

 *रोकथाम विधि*
 1.अपने गले को नम रखना।
2.गला सूखने जैसा हो तो तुरत पानी पिएं।
3.जितना हो सके गुनगुने पानी में नींबू निचोड़ कर पियें,आंवले का सेवन करें। मतलब विटामिन-C का अधिकाधिक प्रयोग करें।
4. 1 कप गर्म दूध में चुटकी भर हल्दी पाउडर डाल कर चाय की तरह कम से कम 2 बार रोज सेवन करें।
5.किसी से भी हाथ मिलाने से परहेज करें।
6.हाथों को हमेशा धोएं
7. सर्दी,जुकाम वाले व्यक्ति के सम्पर्क से बचने की कोशिश करें या मास्क लगा कर मिलें।

*लक्षण / विवरण इस प्रकार  हैं -*

1. तेज बुखार
2. बुखार के बाद खांसी का आना
3.वयस्क आमतौर पर असहज महसूस करते हैं, 4.सिरदर्द और मुख्य रूप से श्वसन संबंधित
उपचार से बेहतर है बचाव
Prevention is Better then Cure!!

Monday, March 16, 2020

कोरोना से डरो न (CORONA)

कोरोना कोरोना
कोरोना से डरो न।

साबुन सैनिटाइजर,
हैंडवाश को ले आओ;
हाथ रखो साफ,
मुंह पर मास्क को लगाओ;
हेलो हाय नमस्ते कर लो,
हाथ न मिलाओ;
कफ कोल्ड खांसी में,
थोड़ी दूरियां बनाओ;
तुरन्त डॉक्टर बुलाओ,
खुद डॉक्टर बनो न;

जरूरी नही अगर,
पब्लिक प्लेस पर न जाओ;
वायरस है मामूली,
तुम डरो न डराओ।
ठंडा नही सिरफ
गरम पानी को है पीना।
नाक कान आंख
गंदे हाथ से न छूना।
सावधानी ही सुरक्षा,
इतनी बात समझो न।


मांस अंडा चिकेन,
को हाथ न लगाओ;
योग आयुर्वेद से,
इम्युनिटी बढ़ाओ;
भीड़भाड़ एरिया से,
दूरियां बनाओ;
संदिग्ध है कोई तो,
सरकार को बताओ;
खुद भी बचो,
और सबको बचाओ;
अफवाह से बचो,
और सबको बचाओ;
सावधानी जानकारी को,
सबको बताओ;
पैनिक से बचो
और पैनिक फैलाओ न।

Friday, March 13, 2020

Gagne theory

STEPS/LEVEL OF LEARNING OBJECTIVES
1
GAINING ATTENTION

RECEPTION

Hey u
2
INFORMING LEARNERS OF THE OBJECTIVES

EXPECTANCY

Today we are going to…
3
STIMULATING RECALL OF PRIOR LEARNING

RETRIEVAL

Yesterday we learnt how to..
4
PRESENTING THE STIMULUS

SELECTIVE PERCEPTION

This is demonstration of…..
5
PROVIDING LEARNING GUIDANCE

SEMANTIC ENCODING

This is a guide for performing….
6
ELICITING PERFORMANCE

RESPONDING

Now you try….
7
PROVIDING FEEDBACK

REINFORCEMENT

You need to….
8
ASSESSING PERFORMANCE

RETRIEVAL

Now we will have a test…
9
ENHANCING RETENTION AND TRANSFER
GERNERALIZATION

Now we will do it on the job























EXAMPLES
1
GAINING ATTENTION

Show variety of computer generated triangles                                                    
2
INFORMING LEARNERS OF THE OBJECTIVES

Pose question:
What is equilateral triangle?
3
STIMULATING RECALL OF PRIOR LEARNING

Review definition of triangle
4
PRESENTING THE STIMULUS

Give definition of triangle
5
PROVIDING LEARNING GUIDANCE

Show example how to create triangle
6
ELICITING PERFORMANCE

Ask students to create different triangles
7
PROVIDING FEEDBACK

Check all triangles correct/incorrect
8
ASSESSING PERFORMANCE

Provide score/remediation
9
ENHANCING RETENTION AND TRANSFER
Show pictures of objects and ask students to identify triangles