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Thursday, October 22, 2020

वक़्त

वक़्त एक बहाव है,
बहता हुआ पानी है;
निरन्तर चलायमान,
गतिमान है;
बहाव के इस वेग में,
परिवर्तन है,
नूतनता है,
सृजन है;
वक़्त की सतत धारा में,
कठोर पर्वत है,
बीहड़ वन हैं,
दुर्गम रास्ते,
औऱ सुमधुर पवन भी हैं।

वक़्त के गर्भ में,
चिलचिलाती धूप,
हांडकपाती ठण्ड भी हैं,
मनमोहक परिदृश्य हैं,
जवालाग्नि प्रचण्ड भी हैं।

असंख्य जड़जीव,
अनगिनत, नभचर, स्थलचर,
यात्रा करते हैं,
जन्मोपरांत,
अनुभव और ऐहसास का,
आलिंगन करते हैं।

जीवन चक्र में,
दिखते हैं,
गुजरते हैं,
आते जाते रहते हैं;
खट्टी मीठी यादों के,
सुनहले साये में,
कुछ ले जाते हैं,
बहुत कुछ दे जाते हैं।

विभिन्न शक्लों में,
अन्यान्य किरदारों में,
कर्तव्य और कारनामे,
दिखा जाते हैं;
पर खूबसूरत यह है कि,
बहुत लोग आकर,
चले जाते हैं;
पर कुछ लोग जाकर भी,
बहुत याद आते हैं;
अपनी खुशबू,
अपनी पहचान,
वक़्त की डोरी से,
कुछ यूं बाँध जाते हैं,
याद आते हैं,
आते ही रहते हैं।
30.09.2020