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Thursday, January 5, 2012

दह्शत और खौफदह्शत और खौफ

ये अलार्म भी बड़ी समय की पक्की होती है , ५.३० हुआ कि अपनी राग अलापने लगती है, पर क्या करे अलार्म तो लगाना ही पड़ता है, नहीं तो ८.०० बजे का स्कूल, देर हो जायेगे और प्रिंसिपल की सुबह – सुबह लेक्चर सुनना पड़ेगा| प्रिंसिपल की तो छोडिये , ये स्टाफ वाले पता नहीं क्या भनभनाने और बुदबुदाने लगते है कि ‘देखो यही स्टाफ क्वार्टर में रहता है फिर भी देर से आ रहा है, इतना ही नहीं , प्रार्थना में खड़े भारत के नौनिहाल भी घूर घूर के देखते है , यूं लगता है कि जैसे हर कदम के बीच का फासला नाप रहे हो ‘ ये देखो छोटे कदम , ये बड़े कदम, क्या चलने की स्टाईल है ,आज नया शूज पहन के आया है , कोई कहता है|

पर क्या आज विद्यालय १० बजे का है , भगवन शुक्रिया, अभी थोडा और सो लेता हूँ, फिर रजाई के अंदर सिमट गया , और जैसे ही नीद लगाने को थी कि फोन की घंटी बजी| लगभग ७.३० बजे थे , कौन शुभ्चिंतक ब्रम्ह मुहूर्त में याद किया , देखता हूँ| घर का फोन , अब कैसे न रिसीव करता , आधी नीद में बोला,’ हेलो’

उधर से तुरंत जबाब आया जैसे कि पहले से सवालों का पिटारा तैयार करके रखा गया हो, ‘तुम ठीक तो हो ?’’

‘हाँ मै ठीक हूँ, क्यों क्या हुआ?’ मैंने थोड़ी उतुसुकता में पूछा|

फिर क्या मेरी बाट लगानी शुरू हो गयी| मै कुछ बोलना चाहता पर कहाँ, बोलने का मौका मिलने वाला था.|

‘तुम्हे कुछ होश रहता है , तुम्हे इतनी बार फोन किया रात में, और तुम फोन क्यों नहीं उठाया , हम लोग रात फर सो नहीं पाए , घर के बाहर बैठे रहे , पूरा गाँव और पूरा परिवार घर के बाहर बैठा रहा, तुमको फोन पर फोन लगाये जा रहे है पर तुम हो कि फोन उठाते नहीं, फिर फोन देखने के लिए रखा है जब रिसीव नहीं करना है तो फोन फ़ेंक दो किसी कूड़े में और रहो बिना फोन के ‘

‘पर ‘ मैंने बात काटकर कुछ पूछने का प्रयास किया पर कोई फायदा नहीं|

उधर से नानस्टाप डट फटकार और इधर मै बेबश और लाचार|

मै तो स्कूल दस बजे होने का जश्न मना रहा था कि ये सुबह कि ये नौबत और दमदार लताड़ , और मै नहीं समझ पा रहा कि ‘फोन न उठाने कि इतनी बड़ी सजा दी जा रही है’ जरूर कुछ बात है|

और फिर क्या उधर से धीरे –धीरे आग के गोले और शोले जो अभी तो भड़क और धधक रहे थे वो ध्रुव प्रदेश के ठन्डे चादर बन गए और वास्प बनकर बरसाने लगे, सिसकी आने लगी, मेरा मन भी सिहराने लगा ‘ये भगवन ! घर पे कही कोई अनहोनी तो नहीं हो गया, पर अभी शाम को मैंने फोन किया था , सब कुछ ठीक ठाक था , घर में कोई बीमार भी नहीं था, और गांव में कुछ किसी के होने से इतना रोना और डट फटकार , नहीं होगा , कही रिश्तेदारी में कुछ तो नहीं हो गया|

उधर से सिसकी और इधर मन में सारी बाते गूथ रही है|

हिम्मत भी नहीं पड़ रही कि क्या हुआ | आखिर कौन चाहेगा कि सुबह सुबह कुछ अनहोनी और अप्सगुन खबर मिले,

पर मै उसे नकार भी नहीं सकता था| मन में शांति भी नहीं मिलेगी , दिल कांपने लगा, रूह सिहरने लगा, धड़कने तेज हो गयी, आंख नम हो गयी , शरीर बेजान सा हो गया , हाथ पाव सुन्न हो गए , येसा लगा कि फोन हाथ से टपक जायेगा|

फिर सिसकियों के बीच से आवाज आयी और मै बिलकुल ध्यानमग्न हो गया ,पहली बार जिंदगी में कुछ इतना गौर से सुना, शायद बडो की बात इतना ध्यान से सुनता तो आज बड़ों की तरह बड़ा बन जाता, और क्लास में गुरूजी की बात ध्यान से सुनता तो ये दिन न देखने पड़ते, जा आज कल देखने पड़ रहे है,

‘मालूम है कल रात के तीन बजे खबर मिली कि धरती फटने वाली है, चूंकि सर्वबिनाश की २०१२ में चर्चा पहले से चली आ रही थी, खबर मिलते ही सभी  गाँव के लोग शोर मचाते और घर पड़ोस को उठाते घर के बाहर आ गए, और खबर थी कि ठीक ४-२० पर धरती फटने वाली है.,जब पूछा गया कि आपको कैसे पता चला, तो सबने बताना शुरू किया कि ‘ मुझे मुंबई से फोन आया, मुझे दुबई से फोन आया, मुझे देल्ही से फोन आया.’| और तब से मैंने तुमको सैकडो बार फोन लगाया पर तुम उठाये नहीं, तो येसे लगा कि जिस वाहन भूकंप तबाही मचा चूका हो|’

फिर जैसे शरीर से निकली हुई आत्मा आधी दूरी से पुनः लौट आयी हो, और जान में जान आ गयी हो|

मैंने गहरी साँस लेते हुआ बोला’ ‘नहीं माँ ,येसी कोई बात नहीं है , यहाँ पर कुछ भी नहीं हुआ है, और यह केवल अफवाह थी लोगो के अंदर दह्शत फैलाने कि और कुछ नहीं|’

फिर घड़ी कि तरफ निगाह गयी ,’ अरे ये क्या,९.३० हो गया , अभी तक ब्रुश नहीं किया , ठीक है माँ, मुझे स्कूल जाना है, लेट हो जाऊँगा, हाँ लेकिन चिंता मत करना , मै बिलकुल ठीक हू, अपना ख्याल रखना, और भैया को लेकर डॉक्टर के पास चली जाना. अभी फोन रखता हू माँ,, नमस्ते|

पर एक बात मेरे दिमाग में गूजती रही कि ये अफवाह कौन फैलाया और क्यों फिलाया| पर एक बात तो तय है कि जिस किसी का भी हात इसके पीछे था , उसकी मानसिकता देश के प्रति ठीक नहीं है|

क्या हासिल करना चाहता था लोगों में दह्शत और खौफ का बीज डालकर| ये किसी आतंकवादी से कम नहीं है|



०४/०१/२०१२