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Saturday, May 11, 2019

स्वप्न की एक झलक

आलोक और नवनीत आमने सामने बैठे कुछ फूस फुसाहट कर रहे हैं । उनके हाथ में कुछ कौड़ियाँ जिसको कभी नीचे गिराते फिर ऊपर उठाते । कभी मुख ऊपर उठाते कभी नीचे । सामने एक बहुत सुंदर दुमंजिला घर जिसके मध्य में सीढी बनी हुयी है और उसके बाए में कुछ दूर पर घर जो पक्के तो है पर अभी पलस्तर नही हुए हैं ।
मै उनके तरफ धीरे धीरे बढ़ा । एक मै और वे दो और कोई नजर नही आया । एक खेत पार करते हुए जिसमे कुछ बोया गया था । यद्यपि अंकुर नही आये थे, फिर भी उसमें से अजीब सुगंध आ रही थी । मै उनके पास पंहुचा और बात होने लगी । चारों तरफ सूनसान था ।
आलोक धीरे से सिर उठाते हुए बोला, ‘ इस घर में अभी तक चोरी नही हुयी है, इसमें बहुत ही कीमती समान है, क्योकि इस घर के लोग अरब रहते हैं’।
नवनीत बोला, ‘ हाँ, बगल के घर में हम लोग जा चुके है, अतः यही मौर्या का सुंदर घर बाकी है’।
मैंने बोला, ‘उस दिशा में हाथ का इशारा मत करो, नही तो लोग जान जायेगे की यही लोग थे क्योकि कल ही यहाँ पर आना है’।
बीच बीच में बगल के खेत से अजीब सी सुगंध आ रही थी ।
अगली रात हम बटाऊबीर ने इकठ्ठा हुए और पहुच गये अपने कार्य स्थल । विनय यादव के घर के बगल से होते हुए जिनके पीछे दो तीन चमार बस्ती है । मौर्या के घर के दूसरे मंजिल पर पहुच गये । अंधेरी रात में जाते समय शायद राम कृपाल यादव देख लिए और सोचा की होगा कोई और सो गये ।
जल्दी जल्दी हम लोग जो भी समान पाए, लेकर फरार हो गये ।    
शोर मचा । अलोक किसी ओर , नवनीत किसी ओर  और मै चमार बस्ती के बगल से होते हुए विनय यादव के खेत के किनारे किनारे जिसमे मक्का बोया था, सडक की तरफ बढ़ा ।
मेरे हाथ में और कुछ नही बस खाने की कुछ स्वादिष्ट चीजें जैसे पाँव, केक आदि जिसका पैकेट अभी तक खुला नही था । सडक पर पहुचते ही कोई मिला पर मै सामान्य स्थिति में हो गया जैसे की कुछ हुआ ही नही । दूकान के बगल से मै अपने घर पहुचा । जहाँ भाभी रोटी सेक रही थी । एक मडहे में ।
इसी बीच आलोक आ गया परन्तु एकदम सामान्य स्थिति में दिखा जैसे कुछ हुआ ही नही और मेरे बगल चूलहे के सामने बैठ के रोटी बेलने लगा ।
चूल्हे में आग जल रही थी ।
वह धैर्य से बोला, ‘मै घर की तरफ गया था’।
उसका घर ब्राह्मण बस्ती के बगल नहर के उस पार प्राथमिक विद्यालय के बगल में था ।
उसने कहा कि, ‘ मै रंगीन टोपी ले गया पर वह कुछ खराब है, उसको दूकान पर ले जाना पड़ेगा । पर तुम टोश लाये हो, दोनों टोश निकाल के खाते हैं’।
सुबह हुयी, बहुत पानी बरसा ।
दुकान के बगल में पुनः प्राथमिक विद्यालय पर गया । चारो ओर बहुत पानी लगा हुआ था ।
पंडीजी ने सूचना दी की यहाँ चोरी हुयी है और पुलिस आने वाली है, कही जाना मत ।
यह प्राइमरी स्कूल था या कोई अजायब घर । लगभग तीन मंजिला और दरवाजे खिड़कियाँ सब शीशे के । बहुत पुराना । मुझे तो अंदर जाने में भय लग रहा था । अंदर प्रकाश का दर्शन तक नही था । इतना भव्य और विशाल । चाभी पंडी जी के हाथ में । वे दरवाजा खोले । अंदर से प्रकाश आया । पर अंदर जाने की हिम्मत नही हुयी । बगल का दरवाजा खोले जिसमे महरिन खाना बनाने वाली थी, एक किनारे खडी थी ।
वह बोली कि, ‘ हमारा कमरा इतना अँधेरा युक्त है, खिडकी तक नही है‘।
पर शीशे की खिड़की अनोखे, जिसको एक तरफ खोलती, दूसरी तरफ बंद हो जाती ।
पंडी जी इशारा दिए की नीचे एक बटन है , उसे दबाकर खोलो ।
इतना करते ही कमरा प्रकाश युक्त हो गया और वह खुश हो गयी ।
मै विद्यालय की पीछे बरहे के रस्ते एक गाव में पहुचा। जहाँ मनोज मेरा दोस्त अपने पड़ोसी के ईख को पिरवा रहा था । काफी देर तक खड़े होकर वही बाते करता रहा । पर ईख खत्म होने का नाम नही ले रही ।
मनोज बोला कि, ‘ यहाँ पर सबसे जादा इसी की ईख पेरी जाती है, ।
मै पुनः विद्यालय की तरफ लौटा ।
पर गाव के अंत में एक घर । घर के सामने एक काला कुत्ता । जिसका चेहरा यद्यपि काला था पर एकदम आदमी की तरह बाल को सुंदर ढंग से सवारे, बगल में मांग फोरे, मुझे एक टक देखता रहा ।
जैसे ही मै आगे बढ़ा, वह मेरी तरफ आने का प्रयास करने लगा । मुझे शंका हो गयी और मै उसकी तरफ मुह किये तेजी से चलने लगा । पर वह जैसे ही मुझे तेज चलते देखा, मुझ पर झपटा । मै भी अपनी सुरक्षा करता रहा । वह मुझे काटने की सोचता और मै हाथ से उस पर वार करता । वह पीछे हट जाता  और पुनः झपटता । इस प्रकार वह कुछ चोट तो दे ही दिया ।
इसी बीच मै पहुचा हरई पट्टी गंगाराम के गाव । जो एक बिज़नस प्लान में हम लोगो को जोड़ के रखे थे। दो तीन घर के आगे वे मिले । और बैठे एक खाट पर हम और दूसरे पर वे और उनका छोटा भाई।
मैंने कहा, ‘जो मुझे कहेगा पैसे दो, मै कहूगा की फॉर्म लगाओ और पैसा ले जाओ और अब कहूगा की इतना दिन तक आप काम नही किये, अब कुछ नही हो पायेगा’।
दोनों भाई इस पर हंस पड़े और छोटा भाई जो कुछ पढ़ा लिखा था।
उसने कहा, ‘ I increase my service’
इसके आगे कुछ कहता की मैंने टोक दिया और बोला, ‘ आप गलत बोल रहे हो, यह ऐसे होगा ‘I increase my services
इस प्रकार मैंने कुछ और अंगरेजी वाक्य । वे लोग मेरी कुशलता से प्रभावित हुए ।
इस गाव से लगभग दस लोग अंधेरी रात में चल दिए अपने विद्यालय की तरफ ।
कोई रास्ता नही था । खेतों को पार करते हुए विद्यालय की पीछे पहुचे । आखिर हम लोग विद्यालय के अंदर कैसे जायेगे । दैवशात, पीछे का दरवाजा खुला था। इससे होते हुए हम अगले दरवाजे तक पहुचे । वह बंद था । आखिर यह कैसे खुलेगा । इसी बीच बाहर से पंडी जी हाथ में चाभी लिए और गुस्से में तेजी से दरवाजे की तरफ बढे ।
और बोले, ‘तुम इससे घुसने की हिम्मत कैसे किये और इतनी रात को ’ ।
मै मंद स्वर में बोला, ‘पंडी जी , पीछे का दरवाजा खुला था, हम सोचे की बाहर का दरवाजा भी खुला होगा’।
मेरी आवाज सुनकर पंडी जी मंद पड़ गये, और सब कुछ शांत हो गया ।                                                                                                                                                                                                                                                                                


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