Followers

Sunday, December 31, 2023

पैसा महत्वपूर्ण नही है।

जिंदगी भर आदमी पैसे के पीछे भागता रहता है। इंसान को पता ही नही है की जीवन में पैसा बिलकुल महत्वपूर्ण नही है। इंसान की योग्यता, समझ, जानकारी, गुण और सफलता महत्वपूर्ण है।
इंसान को अपनी योग्यता, समझ, जानकारी और गुण की वृद्धि करने में मेहनत करनी चाहिए न कि पैसा कमाने या इकट्ठा करने में।
हमारी योग्यता बढ़ने से पैसा, शोहरत, मान सम्मान अपने आप आ जाते हैं।
हमारा फोकस हमारी कुशलता, प्रवीणता और ज्ञान एवं समझ होनी चाहिए न कि सिर्फ पैसा।
अपनी योग्यता बढ़ाओ।
अपनी जानकारी बढ़ाओ।
अपनी कुशलता बढ़ाओ।
अपना ज्ञान बढ़ाओ।
पैसा गिन नही पाओगे इतना होगा।

क्रिकेट विश्व कप में भारत की हार



2023 में होने वाला पुरुष क्रिकेट विश्व कप खासकर भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए बेहद दिलचस्प रहा।

भारत की टीम भले ही फाइनल हार गई हो पर क्रिकेट प्रेमी केवल भारत के ही नही बल्कि पूरी दुनिया के यह बोल रहे हैं कि असलियत में विश्व कप आस्ट्रेलिया ने नही बल्कि भारत ने ही जीता है।

अपने तर्क में बहुत सी बातें कहते है जैसे

1. फ़ाइनल के दिन भारत क भाग्य ठीक नही था।

2. अंपायर के द्वारा रोहित शर्मा को गलत आउट करार देना।

3. फाइनल के पहले भारत का एक भी मैच ना हारना।

इसके आलावा क्रिकेट के जानकार यह भी कह रहे है कि भारत एक सशक्त टीम तो है जो विश्वव कप में दिखा। भारत के सभी खिलाडी बेहद अच्छे फॉर्म में भी है।

लेकिन भारत की टीम के साथ एक समस्या है जब भी फाइनल खेलती है वह दबाव में आ जाती है।

फाइनल में अगर रोहित शर्मा को छोड़ दें तो किसी भी खिलाडी ने विश्व कप फाइनल के स्तर पर खेल का प्रदर्शन नही किया।

हालांकि विराट कोहली और के एल राहुल ने कुछ अच्छे रन जरूर बनाये पर उनका प्रदर्शन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल मैच जीतने जैसा बिलकुल नही था।

पुछल्ले बल्लेबाजों ने और गेंदबाजों ने भी अच्छा प्रदर्शन नही किया।

गेंदबाजी और फील्डिंग भी उस स्तर की नही रही जैसा कि पिछले मैच में रहे।

गेंदबाजी में मो शमी का जलवा था वह खास नही दिखा। शुरुआती कुछ विकेट को छोड़कर भारत को कुछ हाथ नही लगा।

गेंदबाज असहाय और निरीह नजर आ रहे थे।

फिर भी हम कह सकते हैं कि यह खेल है और खेल में हार जीत तो होती है। 

पर भारत के क्रिकेट प्रेमियों के लिए बेहद यादगार विश्व कप रहा २०२३ का।

भारत ने अपनी बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग से दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों को प्रभावित किया।

हमें इन्तेजार करना होगा अगले यानि २०२७ के विश्वकप का इस उम्मीद के साथ कि विश्व कप २०२७ भारत जीतेगा।

Friday, December 29, 2023

सब अच्छा और सब सही



एक बार एक प्रयोग किया गया। कई अंधे व्यक्तियों के बीच एक हाथी लाया गया। सभी अंधे व्यक्तिओं से बोला गया कि आप हाथी को छोकर बताएं कि हाथी कैसा होता है।

गौरतलब है कि अंधे व्यक्ति जन्मांध थे। उन्होंने अपनी आँखों से कभी कुछ नही देखा। प्रयोग कर्ता यह देखना चाहते थे कि जिन लोगों ने हाथी कभी नही देखी अगर उनके सामने हाथी लायी जाये तो वे हाथी को क्या बोलेंगे।

सभी अंधे व्यक्तियों ने हाथी को छुआ। किसी के हाथ में हांथी का सूंड आया तो किसी के के हाथ में हाथी का पैर। किसी के हाँथ में हाथी की पूछ आई तो किसी के हाथ में हाथी का विशाल पेट।

अब उनसे पूछा गया कि बताइए हाथी कैसा होता है।

जिसके हाथ में हांथी का सूंड आया उसने बोला हाथी सांप जैसा होता है।

जिसके हाथ में हांथी का पैर आया उसने बोला हाथी खम्भे जैसा होता है।

जिसके हाथ में हाथी का पेट आया उसने बोला कि हाथी नगाड़ा जैसा होता है।

जिसके हाथ में हाथी का पूछ आया उसने बोला कि हाथ झाड़ू जैसा होता है।

उपरोक्त परिस्थिति और प्रयोग सबके सामने था। सभी विचार मग्न और आश्चर्यचकित थे।

उपरोक्त प्रयोग के परिणाम के रूप में हम कह सकते हैं कि ......

1- कोई भी बात, सिद्धांत, अनुभव, दर्शन अंतिम नही हो सकता।

2- एक व्यक्ति के विचार अंतिम सत्य नही हो सकता।

3- व्यक्ति, स्थान, वास्तु, परित्थिति और काल के अनुसार सत्यता के अलग अलग आयाम हो सकते हैं.।


इस प्रकार किसी भी बात या विचार, व्यवस्था, परंपरा, सिद्धांत, आदर्श को बिलकुल सही और बिलकुल गलत नही माना जा सकता है।

सलाह यह है कि आप जिस परिवेश में रहते हैं, जो भी आपके व्पक्तिगत विकल्प और पसंद हैं उसके अनुसार चीजों और परिश्थितियों को समझें और निर्णय लें।

पर एक बात ध्यान दें कि अनावश्यक रूप से आपके कार्य , विचार और व्यवहार किसी के लिए संकट और समस्या का कारण न बने।

आप खुश रहें और दुसरे को खुश रहने में बाधा न बनें।

क्योंकि न कुछ गलत है और न ही कुछ सही है।

सब सही और सब अच्छा है।

All right, All well

 


Once there were numbers of blind people. They had their own perception of the things of world. Once there was an experiment with blind people. The experiment was to know what and how these bling people perceive and understand the world and things.

An elephant was brought to them. They were asked to assess how the elephant is. The blind people stood up and neared the elephant.

After the very close observation of the experiment is done, the things must not be taken an absolute final.

Some visually challenged and the challenging children held the leg and cried the elephant is poles. Someone who neared stomach called it as Nagada.

So the visually challenged people had different viewpoint of the same things.

This is the fact of life. Whatever we perceive is never absolute and ultimate. We have limitation of our perceptions, understandings and interpretations. It varies according to person, place, things and overall circumstances.

We may not assert any particular viewpoint to the finest and final one.

So we must assert ours and be ever ready to accept others too.

Our over assertions of the particular and specific viewpoint makes us rather arrogant and hypocrite.

We should rather assert ours and respect others.

The same things may be different for different people as per time, place and circumstances.

Saturday, December 23, 2023

भारतीय संविधान (बारहवीं अनुसूची) नगरपालिकाएं



 

भारतीय संविधान (ग्यारहवीं अनुसूची) पंचायतें



 

भारतीय संविधान (दसवीं अनुसूची) दल परिवर्तन पर निरर्हतायें





 

भारतीय संविधान (नवीं अनुसूची) कुछ अधिनियमों का विधिमान्यीकरण












 

भारतीय संविधान (आठवीं अनुसूची) भाषाएँ



 

भारतीय संविधान (सातवी अनुसूची) संघ, राज्य और समवर्ती सूचियाँ











 

भारतीय संविधान (छठी अनुसूची) असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम के उपबंध