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Friday, May 10, 2019

पियवा हमार बसा, कउने नगर में

पियवा हमार बसा, कउने नगर में;

सास हमार रात दिन ताड्त
ननद हमार है झाड़त
ससुरा देवरा प्रीत न समझे
विष नफरत यही घर में
पियवा हमार................................

जेठ जेठानी है हर पल छेड़त,
बैर के बीज है मन में;
सखिया सहेलिया आन पड़ी है
बोलिया बोले डगर में
पियवा हमार.....................................

राह न जानी बाट न जानी
कोई न साथी संग में;
कहे लाल तोरि पीर मिटी
जब जाओ गुरु शरन में
पियवा हमार....................................

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