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Friday, May 10, 2019

जो मुझको अच्छा लगता है

लोग कहते है कि,
बड़े खूबसूरत है हम;
पर जब आईने में मैंने, खुद को देखा;
मैंने पाया कि,
मै वही हू, मै तो वही हूँ;
आखिर इसे क्या कहूं?
वे झूठे थे! जो यूही, मेरी
खूबी, बताये जा रहे; या,
मुझे खुद कि खूबी, नजर नही आती;
यह सोच कर, मै फिर, आईने में खुद को देखा;
पर, मै तो वही हूँ, बस वही हूँ;
वो हैं कि, खूबी गिनाते, नही थकते;
और हम है कि, खुद में खुद को,
ढूढ़ते, पर हर बार, बार-बार, सिर्फ,
वही के वही, नजर आते है;
मुझमें, ऐसी कोई खूबी, तो है नही;
जो, दूसरों के प्रसंसा के, लायक बने;
क्या कहूं इसे, कि उनकी आदत ही ऐसी है;
या, वाकई में ऐसा कुछ् है, मुझमे;
और फिर, मैंने खुद को समझाया;
कि, क्या फर्क पड़ता है, कि
मुझमे, खुछ खूबी है भी, या नही;
और लोग, तो यैसे ही होते है;
आप के सामने तो, खूबी बखानी;
आपके पीछे, आपकी बखेड़ी उधेड़ी;
क्या करना, कोई क्या कहता है?
अपने को तो, वही करना जो;
खुद को, अच्छा लगता है;
और हाँ, ये भी बात है, कि,
बड़ा अच्छा लगता है, जब हम,
किसी के लिए, कुछ करते है;
बहुत ही, अच्छा लगता है, जब,
हम किसी के, चेहरे पर मुस्कराहट, कि वजह बनते है;
और, यही दुआ करते है, उस ईश्वर से,
कि, मुझे मुसीबते दे, पर उससे लड़ने कि, क्षमता भी;
और उस काबिल बनाये, कि हम,
आ सके, जरूरतमंद के काम;
फिर, फर्क नही पड़ता, कि, मै कैसा दिखता हूँ;
फिर, फर्क नही पड़ता, कि कोई मेरी तारीफ, करता है,
या फिर, बुराइयों के पुल बनाता है;
मै तो वही करता हूँ
जो मुझको अच्छा लगता हैा

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