हमने देखा है,
दौलत वालों को,
रईसजादों और रसूख वालों को,
कमजोरों के सीने को रौंद,
मंजिलें बनाई हैं,
गरीबों के हाड़ मांस,
लहू तक को नहीं छोड़ा,
अपनी शोहरत,
अपनी समृद्धि,
अपनी बरकत बढ़ाने के लिए,
हर जुल्म,
नापाक हरकतों को,
जायज ठहराते हैं,
सिर्फ अपनी सत्ता के लिए,
शक्ति के लिए,
नरसंहार, नृशंस व्यवहार,
जमीर जमींदोज तक करते हैं,
हैसियत हासिल करने के लिए,
हुक्मरानी मजबूत करने के लिए,
बेहद बेदर्द है लोग,
बेशर्म भी हैं,
तनिक अश्क भी नहीं है,
इनकी आंखों में,
बेवफा है ऐ,
इंसानी वसूलों,
आदर्शों के लिए,
इंसानियत तो दूर की बात है,
नाम मात्र भी,
किसी के लिए,
ऐ हमदर्द नहीं हैं।
15
April 2020
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