सिर्फ इंसान होना,
काफी नहीं,
इंसानियत का भी होना,
बेहद जरूरी है।
इंसानी एहसास,
इंसानी भावनाएं,
संवेदना और अनुभूति,
सौहार्द सहानुभूति,
हंसी खुशी,
आंसू और गम,
जैविक जुड़ाव,
समरसता और संभाव,
होना भी बहुत जरूरी है,
सिर्फ इंसान होना,
काफी नहीं,
इंसानियत का भी होना,
बेहद जरूरी है।
जोर जबरदस्ती,
निंदा नफरत,
ईर्ष्या बैर,
कटुता और कुटिलता,
हिंसा आक्रोश,
जय पराजय,
क्लेश विद्वेष,
प्रतिद्वंदिता और पराभव,
के घात प्रतिघात से,
हमको, हम सबको,
बनाना दूरी है,
केवल इंसान होना,
काफी नहीं,
इंसानियत का भी होना,
बेहद जरूरी है।
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