वैसे तो बड़े गुनाहगार हैं,
अनेक कातिल हैं,
नफरतों के बीज बोने के,
फिजाएं विषमयी करने के,
दंगे की आग भड़काने के,
हजारों शैतानी ताकत हैं;
पर मीडिया तंत्र ने,
मीडिया गुंडों ने,
मीडिया गैंग ने,
जो जहर फैलाया है,
अप्रत्याशित है, आशातीत है;
मीडिया कातिल है।
कभी उछलकर,
कभी कूदकर,
चिल्लाकर, कभी गला फाड़कर,
रोता भी है, मुस्कुराता भी है,
अत्यंत क्रोधित,
अति आक्रोशित,
नाच नाच कर,
कभी उठकर, कभी बैठ कर,
आग उगलता है, जहर फैलाता है,
शांति प्रिय देश में,
बंधुत्व भाईचारे में,
विष वमन करता है,
भारत देश सुलगाता है,
मीडिया कातिल है।
पत्रकारिता पर कुठाराघात किया,
बदनाम भी किया,
सत्यानाश भी किया,
दलाल भड़वे की भी,
अपनी कुछ इज्जत होती है,
पर तुमने बची कुची इज्जत को भी,
बेशुमार तार-तार किया,
मीडिया कातिल है।
अपनी हठखेली हरकतों से,
हास्य करुण अभिनय से,
शातिर और बेशर्म फरेबी तेरी फितरत से,
जनता का, देश का,
और मानवता का,
भारी नुकसान हुआ है,
मीडिया कातिल है।
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