कयोकि ऐसा होता है
कितने ही कष्ट सहे
हमने,
दुःख दर्द सदा पाए
हमने;
मन आतुर व्याकुल हर
पल हर क्षण
खोजे न पाए छाये
हमने
पर नही बुझेगी आशदीप
क्या पायेगा जो सोता
है
क्योंकि..................................
हर साँस लडूगा पाने
को
इक सपनों की दुनिया
सजाने को
मिला अभी तक कुछ भी
नही
क्या जाये भूल
निशाने को
पर मिलती गिरती जीवन
रन में
तिमिर गये दिन होता
है
क्योंकि.............................
है पुष्प जहाँ में
कांटे भी
है दिवस और सुहानी
राते भी
क्यों बिलखे गर सब
खो ही गया
क्या था मेरा जो मोह
हो गया
आशान्वित कर्म सदा
कर तू
पाता वही जो खोता है
क्योकि.......................................
तू नही, है सारे इस
धुन में
घुलते मिलते पावस घन
में
है चाह की बस एक
बूँद मिले
जिसमे जीवन का फूल
खिले
हर पग का विष पी
पीकर
अमृत का रस तब आता
है
क्योकि.........................
है दूर बहुत वह
लक्ष्य तो क्या,
काफी एक पग पाने के
लिए
जिसमे हो अनुपम जोश
भरा
हर स्वाद सदा चखने
के लिए
कमर कसे कुछ हो भी
फिर
पतझड़ में जीवन होता
है
क्योकि...........................
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