लोग कहते है कि
बड़े खूबसूरत है हम
पर जब आईने में मैंने खुद
को देखा
मैंने पाया कि
मै वही हू मै तो वही हूँ
आखिर इसे क्या कहूं
वे झूठे थे जो यूही मेरी
खूबी बताये जा रहे या
मुझे खुद कि खूबी नजर नही
आती
यह सोच कर मै फिर आईने में
खुद को देखा
पर मै तो वही हूँ बस वही हूँ
वो हैं कि खूबी गिनाते नही
थकते
और हम है कि खुद में खुद को
ढूढ़ते पर हर बार ,,बार
,,बार सिर्फ
वही के वही नजर आते है
मुझमें ऐसी कोई खूबी तो है
नही
जो दूसरों के प्रसंसा के
लायक बने
क्या कहूं इसे कि उनकी आदत
ही ऐसी है
या वाकई में ऐसा कुछ् है
मुझमे
और फिर मैंने खुद को समझाया
कि क्या फर्क पड़ता है कि
मुझमे खुछ खूबी है भी या
नही
और लोग तो यैसे ही होते है
आप के सामने तो खूबी बखानी
आपके पीछे आपकी बखेड़ी उधेड़ी
क्या करना कोई क्या कहता है
अपने को तो वही करना जो
खुद को अच्छा लगता है
और हाँ ये भी बात है कि
बड़ा अच्छा लगता है जब हम
किसी के लिए कुछ करते है
बहुत ही अच्छा लगता है जब
हम किसी के चेहरे पर
मुस्कराहट कि वजह बनते है
और यही दुआ करते है उस
ईश्वर से
कि मुझे मुसीबते दे पर उससे
लड़ने कि क्षमता भी
और उस काबिल बनाये कि हम
आ सके जरूरतमंद के काम
फिर फर्क नही पड़ता कि मै
कैसा दिखता हूँ
फिर फर्क नही पड़ता कि कोई
मेरी तारीफ करता है
या फिर बुराइयों के पुल
बनाता है |
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