जयति जय जय हे वीणा
वादिनी !
जगत जीवन सब सुरमय
कारिणी
दुःख हरिणी सुख
कारिणी
तेरी वीणा की झंकार
से हे माँ
निकला जीवन का सुर
संगम
आशादीप के गीत बजा
दो
हे माता मृदु भाषिणी
जयति.........................................
प्रेम की राग रचे
चित में
बस तू ही सदा रहे
सुध में
ज्ञान प्रकाश घुले
सब में
नमन तुम्हे तम
नाशिनी
जयति..............................................
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