लौट के तुम कब आओगे
प्यारा सा वह साथ था
अदभुत सा वह एहसास
था
हम थे कितने पास पास
थी खुशिया अपने
आसपास
फिर वही चाहतों के
बादल को
मन आंगन में कब
बरसाओगे
लौट के तुम
.....................
हर एक अदा याद आती
है
खुशिओं के झकोरे
लाती है
भावों से भरी वह शाम
सुबह की
हर पल की याद दिलाती
है
मेरी चाहतों के साये
में फिर
कब खुद की खुशियाँ
लुटाओगे
लौट के
तुम........................
मै कभी न भरोसा
तोडूंगा
तेरा साथ कभी न
छोडूंगा
तू खुश रहे जिस कारण
से
वह कारण तुम पर
वारूंगा
मै तेरे सामने
होऊंगा खड़ा
जब भी तुम मुझे बुलाओगे
लौट के
तुम...................
भगवान गगन के तारों
सा
तेरा जीवन जगमग कर
दे
मेरे जीवन की सारी
खुशियाँ भी
सब तेरे जीवन में भर
दे
मै रहूँगा अति
प्रसन्न अगर
तिनका सा प्यार
जताओगे
लौट के
तुम...................
जो मिला मुझे वह
काफी था
जो मिलेगा उसे
निभाऊंगा
आ गया तेरे गर किसी
काम
गौर्वान्नित खुद को
पाउँगा
जैसा हूँ मै आज
प्रिये
वैसा ही हमेशा पाओगे
लौट के तुम
.............................
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