थे जन्म लिए जिस
धरती पर, खाया था अन्न जहाँ का
चढ़ गये वतन की शूली
पर, वे लाज वचाने माँ का
मर्त्य इस जमाने
में, हो गये अम्रर
निज वतन की शान पर ,
मर गये अगर
मर्त्य
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थी सांस जिनकी शान
की , सपने लिए हुये
निज जिन्दगी जी जान
से, अर्पण किये हुए
कल की नव कली मिटी,
ममता के आन पर
मर्त्य
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भोर है जहाँ में
जबतक, और है निशा
रश्मि उनकी यादों
से, निखरेगी शमां
तस्वीर मुस्कराए,
साहिल की जुबान पर
मर्त्य............................................
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