भयो अंधियार, जलायो
गोरी दियना
भयो अंधियार, जलायो
गोरी दियना
काम क्रोध, मद मोह
में प्राणी,
दिवस बिताये, बिताये
रैना;
भयो
अंधियार......................................
कित जाये, कोई बाट न
सूझत,
माया का पर्दा, पड़ा
रे नयना;
भयो अंधियार.........................
मूरख मृग, वन वन को
धावत,
कस्तूरी है बसे
हियना;
भयो
अंधियार...............................
प्यासी बिरही का,
सेज बा सूनी,
बिन गुरु ज्ञान,
मिले नहि सजना;
भयो
अंधियार........................
प्रीति की रीति,
चल्यो लाल की,
नासिहैं पीर रहे,
कोई दुःख न;
भयो
अंधियार.................
No comments:
Post a Comment