पियवा हमार बसा,
कउने नगर में;
सास हमार रात दिन
ताड्त
ननद हमार है झाड़त
ससुरा देवरा प्रीत न
समझे
विष नफरत यही घर में
पियवा
हमार................................
जेठ जेठानी है हर पल
छेड़त,
बैर के बीज है मन
में;
सखिया सहेलिया आन
पड़ी है
बोलिया बोले डगर में
पियवा
हमार.....................................
राह न जानी बाट न
जानी
कोई न साथी संग में;
कहे लाल तोरि पीर
मिटी
जब जाओ गुरु शरन में
पियवा
हमार....................................
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