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Friday, May 10, 2019

चलते जा, बस चलते जा;

चलते जा, बस चलते जा;
रुक गये अगर थक तेरे पाँव,
थम गये तेरे गर सारे प्रयास,
जीवन की इस महा समर में,
झुक गया अगर होके हताश;
पिस जायेगा, समय चक्र में,
खो जायेगा, काल भंवर में,
न हो उदास,मत छोड़ आस,
होगा जीवन कही आसपास,
है संभव आकाश को छु पाना
दृढ निश्चय की सीढी चढ़ते जा
चलते जा .............................

न हो अधीर, तू है वीर;
तुझमे क्षमता है अति विशाल;
भर के उमंग मन में प्रचंड,
कर दे जीवन रण में भूचाल;
घन तिमिर छट जाएगा,
घनघोर घटा हट जाएगा;
आत्मतेज के आंधी से
मनोविशाद मिट जाएगा;
खुद को बुलंद कर ले इतना,
खुद मुश्किल को मुख्किल करते जा
चलते जा...........................

तू भी है खुद में वीर शिवा,
तुझमे भी रहता है प्रताप;
जगदीश्वर जगतपिता ने दिया
तुझको भी, जीवन का ताप
हीन मनस न करना कभी,
बाधाओं से न डरना कभी;
जीवन मरण की बलि वेदी पर,
हो कायर झुकना न कभी;
जीतेंगे, हम ही जीतेंगे,
यह ब्रह्मनाद तू करते जा
चलते जा..............................

मरना है तो सिर्फ एक बार,
डरना नही हमको बार बार;
डर के जीना भी, क्या कोई जीना है,
यह अपमान के विष को पीना है;
धिक्कार है ऐसे जीवन को,
जिसमे जीने की चाह नही;
जीवन के विकट धाराओं में भी,
जिसने ढूंडा खुद राह नही;
बल है असीम तुझमे निहित,
बस आगे कदम बढ़ाते जा
चलते जा.........................................


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