चलते जा, बस चलते
जा;
रुक गये अगर थक तेरे
पाँव,
थम गये तेरे गर सारे
प्रयास,
जीवन की इस महा समर
में,
झुक गया अगर होके
हताश;
पिस जायेगा, समय
चक्र में,
खो जायेगा, काल भंवर
में,
न हो उदास,मत छोड़
आस,
होगा जीवन कही
आसपास,
है संभव आकाश को छु
पाना
दृढ निश्चय की सीढी
चढ़ते जा
चलते जा
.............................
न हो अधीर, तू है
वीर;
तुझमे क्षमता है अति
विशाल;
भर के उमंग मन में
प्रचंड,
कर दे जीवन रण में
भूचाल;
घन तिमिर छट जाएगा,
घनघोर घटा हट जाएगा;
आत्मतेज के आंधी से
मनोविशाद मिट जाएगा;
खुद को बुलंद कर ले
इतना,
खुद मुश्किल को
मुख्किल करते जा
चलते
जा...........................
तू भी है खुद में
वीर शिवा,
तुझमे भी रहता है
प्रताप;
जगदीश्वर जगतपिता ने
दिया
तुझको भी, जीवन का
ताप
हीन मनस न करना कभी,
बाधाओं से न डरना
कभी;
जीवन मरण की बलि
वेदी पर,
हो कायर झुकना न
कभी;
जीतेंगे, हम ही
जीतेंगे,
यह ब्रह्मनाद तू
करते जा
चलते
जा..............................
मरना है तो सिर्फ एक
बार,
डरना नही हमको बार
बार;
डर के जीना भी, क्या
कोई जीना है,
यह अपमान के विष को
पीना है;
धिक्कार है ऐसे जीवन
को,
जिसमे जीने की चाह
नही;
जीवन के विकट धाराओं
में भी,
जिसने ढूंडा खुद राह
नही;
बल है असीम तुझमे
निहित,
बस आगे कदम बढ़ाते जा
चलते
जा.........................................
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