शीश झुका के करून
प्रणाम
शीश झुका के करूं
प्रणाम
विनती सुन लो
कृपानिधान
ओझल अंखिया सूझत
नाही
माया मोह संग छोड्त
नाही
हिय उजियार करो
सुखधाम
विनती
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चित चहु ओर चरण को
खोजत
रोवत विलखत सोवत
जागत
नही मिलत वह विमल
निशान
विनती.....................................
कोमल मन कहू लागत
नाही
धावत भागत तोहि पावत
नाही
दर्शन दो हे देव
महान
विनती............................................
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