हाँ मै सपना देखता
हूँ!
सबसे ताकतवर इन्सान
बनू
दुनिया का सबसे
ताकतवर इन्सान बनू
महल हो अपना अलीशान
कर सकू जिस पर मै
अभिमान
हो सके ख्वाइशे सारी
पूरी
हो न अपनी कोई
मजवूरी
हो समस्त सुविधाओं से परिपूर्ण
ऐसा आलम मै चाहता
हूँ
है, मै सपना देखता
हूँ;
चाहता हूँ इस जीवन
को, जीवन से जी भर लूं
आलिंगन कर लूं,
चुम्बन कर लूं,
और स्पंदन कर लूं;
आसपास की आवोहवा हवा
में,
रस समरस और
सतरस भर दूं;
मदमस्त मधुर मनमोहक
स्वर
जन जन के जीवन में
भर दूं;
रोम रोम सिहरे
प्रमुदित हो
ऐसा मंजर मै चाहता
हूँ
हां मै सपना देखता
हूँ
मैंने क्या कोई गुनाह किया ?
क्या किसी निर्दोष पर वार किया?
किसका मैंने हिस्सा मारा?
क्या किसी को मैंने दे मारा?
क्या किसी को मैं आंसू लाया?
कब झूठ फरेब मैं बतलाया;
सपना देखना है यदि गुनाह
तो गुनाह यह मै करता हूँ
हाँ मै सपना देखता हूँ
आखिर क्यों न सपने देखूं?
क्यों न मै उम्मीदे पालूँ?
ख्वाइशों के आसमान पर
क्यों न मै सरपट दौडू
अभिलाषाओ के पंख लगा के
क्यों न दुनिया (अजूबों) का सैर करूँ
मन्नत मन की सजा धजाकर
पलकों की प्यास को पालता हूँ;
हाँ मै सपना देखता हूँ;
घुट घुट कर सिमटकर बिखरकर
जीवन जीना मुझे रास नही
वह जीवन भी क्या जीवन है
जिस जीवन में कुछ ख़ास नही
है जीना बिलकुल खाक
यदि जीने का अंदाज नही
मरघट पर भी मधुबन महके
ऐसा मन उपवन चाहता हूँ
हा मै सपना देखता हूँ
कोई डर नही कोई भय नही
कोई आफत नही संशय नही
उत्साह भरे पलकों में, विश्वास भरे पलकों में
शोला भरे सीने में, शबनम भरे धडकन में
मन तन धन और जन बल से भरा
ओजस्वी जीवन चाहता हूँ
हां मै सपना देखता हूँ
सपने न देखा तो क्या देखा
क्या बदलेगी भाग्य की कोई रेखा
सपने भी तो कोई खेल नही
इसका भी अपना कोई मोल नही
सपनों से ही जीवन बनते है
जीबन से ही सपने बनते है
आजीवन जीवन का लुत्फ़ उठाऊ
जन जीवन में जीवन चाहता हूँ
(जीवन में जीवन चाहता हूँ)
हां मै सपने देखता हूँ
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