ये वक्त जरा रुक,
मेरी भी सुनते जा
तूने तो युगों से,
सब कुछ देखा है;
कही गुलशन तो, कही
गम की रेखा है;
क्या कोई राह नही की
, हर पत्ते हरे हो?
मधुर गीत हो खग की,
और फूल खिले हो!
कुछ तो कह, मत चुप
रहते जा
ये वक्त........................................................
यत्न करता हूँ,
रंगीन दुनिया सजा लूं;
मनहूस भर्री
जिन्दगी, शुकर से गुजार लूं;
इस वक्त मुझे बस, एज
शैर याद आता है;
वही होता है, जो
मंजूरे खुदा होता है;
होगा कभी सबेरा,
भरोसा देते जा
ये वक्त........................................
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