करीब आओ जरा, आँख
क्यों छुपाते हो
करीब आओ जरा, आँख
क्यों छुपाते हो
दिल में जो बात
उठी,यार क्यों दबाते हो
तुमको एहसास नही,
कितना प्यार है शायद,
दीप जो बुझ न सके,
ऐसी है मेरी चाहत;
आँखों ने बोल दिया,
लव पे क्यों छुपाते हो;
करीब........................................
ये हवाये, ये फिजा ,
फुल ए गुलशन है खिले,
प्यारा अपना हो शमा,
जो जवा दिल ये मिले;
अश्क नजरों का सनम,
ऐसे क्यों बुझाते हो
करीब.................................................
No comments:
Post a Comment