आऊ बसों पिय हिय
मोरे
वृथा ये जीवन बिन
पिय तोरे
अंसुवन अंखिया भीगत
जाई
दीं विनय प्रभु रीझत
नाइ
करू नमन हे पिय कर
जोरे
आऊ
बसों........................
का विधि हरखे दींन
दयाल
ताहि जपू शुद्ध स्वर
ताल
मन पुलके हिय लेइ
हिलोरे
आऊ
बसों.......................
कीन्ह तपस तनु ताहि
दरश को
दाता तोहि चखे सुख
रस को
बाध्यो मै लेहि
प्रीति की डोरे
आऊ
बसों............................
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