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Friday, May 10, 2019

अभी है कुछ बाकी


अभी है कुछ बाकी

क्यों हो हताश! क्यों टूटे आस?
हो गये निराश! कुछ आये न रास!
मुश्किल कहाँ न निशा नशाए?
जब हिय स्थित नन्हा सा प्रकाश
बूँद रहे कहाँ बुझे बाती
अभी है कुछ बाकी..........................................

सत्य है साँसत पाया तुमने
बहुत ही बोझ उठाया तुमने
पर क्या मुख मोड़ विचल जाए
अच्छा हो! यदि हम जल जाये
दे छाव पथिक को सतत बार
बन गया आज है पतझड़ पाती
अभी है कुछ बाकी.........................



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