मेरे लिए,
आखिर कौन है वो।
मेरा भूत भी नही,
मेरा वर्तमान भी नही,
न ही मेरा भविष्य है वो।
आखिर कौन है वो।
एक चंचल चलायमान,
हवा का झोंका है वो;
जिंदगी के लम्बे सफर में,
खट्टा मीठा साथ और एहसास है वो;
वक्त के विशाल बहाव से टूटा,
एक अदना सा लम्हा है वो;
आखिर कौन है वो।
उसका एक संसार है,
अपना घर परिवार है;
किसी की मां,
किसी की पत्नी है वो;
किसी की बहन,
किसी की पुत्री है वो;
वही हकीकत है,
वही सच्चाई है;
मै क्या हूं,
उसके बृहद बेहतरीन संसार का,
एक मामूली सा टुकड़ा हूं;
उसके वजूद में,
मै मौजूद नही;
आखिर कौन है वो।
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