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Friday, March 1, 2024

जीवन चारि दिवस का मेला रे। Saint Ravidas

 



जीवन चारि दिवस का मेला रे।

बांभन झूठा, वेद भी झूठा, झूठा ब्रह्म अकेला रे।।


मंदिर भीतर मूरति बैठी, पूजत बाहर चेला रे।

लड्डू भोग चढावति जनता, मूरति के ढिंग केला रे।।


पत्थर मूरति कछु न खाती, खाते बाभन चेला रे।

जनता लूटति बांभन सारे, प्रभुजी देति न अधेला रे।।


पुण्य पाप या पुनर्जन्म का, बाभन दीन्हा खेला रे।

स्वर्ग नरक बैकुंठ पधारो, गुरु शिष्य या चेला रे।।


जितना दान देवेगे जैसा, वैसा निकले तेला रे।

बांभन जाति सभी बहकावे, जंह तंह मचे बवेला रे।।


छोडि के बाँभन आ संग मेरे, कहे विद्रोहि अकेला रे।  



 

जीवन चारि दिवस का मेला रे।

बांभन झूठा, वेद भी झूठा, झूठा ब्रह्म अकेला रे।।

मंदिर भीतर मूरति बैठी, पूजत बाहर चेला रे।

लड्डू भोग चढावति जनता, मूरति के ढिंग केला रे।।

पत्थर मूरति कछु न खाती, खाते बाभन चेला रे।

जनता लूटति बांभन सारे, प्रभुजी देति न अधेला रे।।

पुण्य पाप या पुनर्जन्म का, बाभन दीन्हा खेला रे।

स्वर्ग नरक बैकुंठ पधारो, गुरु शिष्य या चेला रे।।

जितना दान देवेगे जैसा, वैसा निकले तेला रे।

बांभन जाति सभी बहकावे, जंह तंह मचे बवेला रे।।

छोडि के बाँभन आ संग मेरे, कहे विद्रोहि अकेला रे।  


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