हम वो नही है जो हम है
हम वो है जो सब है
हम खुद से अंजान है
खुद से बेगाने है
खुद से दूर है
बहुत दूर हैं
हम ख़ुद को जानते नही
खुद को पहचानते नहीं
किसको पता है कि
कौन क्यों कैसे कब है
ये नाम, ए रिश्ते नाते
पद प्रतिष्ठा, सुख वैभव
सोच विचार, वाणी व्यवहार
सब आरोपित है
सब प्रत्यारोपित है
प्रदत्त है, सृजित है, विकसित है
हमारे आसपास से
आसपास के व्यक्तियों से, वस्तुओं से।
सब कुछ काल्पनिक है,
सब कुछ करतब है।
सब छद्म है सब अवास्तविक है
अस्थाई है आभासी है
सब छलावा है, दिखावा है
भ्रम है, मायाजाल है
जो है वह दिख नही रहा,
जो दिख रहा, वह है नही
उछल कूद शोक और सुख
सब मरघट का जमघट है।
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