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Friday, March 1, 2024

जहवाँ से आयो अमर वह देसवा।



जहवाँ से आयो अमर वह देसवा।


पानी न पान धरती अकसवा,

चाँद न सूर न रेन दिवसवा।


ब्राह्मण छत्री न सूद्र बैसवा,

मुगल पठान न सैयद सेखवा।


आदि जोत नहिं गोर गनेसवा,

ब्रह्मा बिसनू महेस न सेसवा।


जोगी न जंगम मुनि दुरबेसवा,

आदि न अंत न काल कलेसवा।


दास कबीर के आये संदेसवा,

सार सबद गहि चलौ वही देसवा।


 

जहवाँ से आयो अमर वह देसवा।

पानी न पान धरती अकसवा, चाँद न सूर न रेन दिवसवा।

ब्राह्मण छत्री न सूद्र बैसवा, मुगल पठान न सैयद सेखवा।

आदि जोत नहिं गोर गनेसवा, ब्रह्मा बिसनू महेस न सेसवा।

जोगी न जंगम मुनि दुरबेसवा, आदि न अंत न काल कलेसवा।

दास कबीर के आये संदेसवा सार सबद गहि चलौ वही देसवा।


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