बेगमपुरा सहर को नाऊ,
दुःख अन्दोहू नहीं तिहि ठाऊ।।
ना तस्वीस हिराजू न मालू,
खउफू न खता न तरसु जुवालू।।
अब मोहि खूब बतन गह पाई,
उहाँ खैरि सदा मेरे भाई।।
कईमु सदा पातिसाही,
डॉम न सोम एक सो आही।।
आबादानु सदा मसहूर,
उहाँ गनी बसहिं मामूर।।
तिउ तिउ सैल करहि जिउ भावै,
महरम महल न को अटकावै।।
कह रविदास खालस चमारा,
जो हम सहरी सु मीतु हमारा।।
बेगमपुरा सहर को
नाऊ, दुःख अन्दोहू नहीं तिहि ठाऊ।।
ना तस्वीस हिराजू
न मालू, खउफू न खता न तरसु जुवालू।।
अब मोहि खूब बतन
गह पाई, उहाँ खैरि सदा मेरे भाई।।
कईमु सदा
पातिसाही, डॉम न सोम एक सो आही।।
आबादानु सदा
मसहूर, उहाँ गनी बसहिं मामूर।।
तिउ तिउ सैल करहि
जिउ भावै, महरम महल न को अटकावै।।
कह रविदास खालस
चमारा, जो हम सहरी सु मीतु हमारा।।
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