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Tuesday, May 18, 2021

वक़्त गुजरते जा रहा,बेअटक और अबाध।

वक़्त गुजरते जा रहा,
बेअटक और अबाध।

किसी के शोहरत और सुख से,
वक़्त बेखबर, बेअसर;
किसी के दुःख और दर्द से,
वक़्त नावाकिफ, बेनजर;
नही थम सकती,
वक़्त की बेपरवाह रफ्तार;
किसी के सामर्थ्य शक्ति से,
किसी के ज्ञान,
किसी के भक्ति से;
किसी होनी किसी अनहोनी से,
वक़्त है आबाद।

वक़्त खुद बादशाह है,
खुदा है,
खुद की मर्ज़ी है,
खुद का ही राज है,
साम्राज्य है;
अपनी गति, अपनी चाल है,
निर्माण है, काल है;
वाकई वक़्त बेमिशाल है;
वक़्त अगोचर, अक्षय,
वक़्त अथाह है।

वक़्त गुजरते जा रहा,
बेअटक और अबाध।
https://youtu.be/z8oHeLnlrO4

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