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Tuesday, May 18, 2021

हर शख्स यहाँ,एक ख्वाब लिए जीता है।

हर शख्स यहाँ,
एक ख्वाब लिए जीता है।

अगले पल,
मेरी तकदीर बदलने वाली है;
जहालतों भरी,
मेरी तस्वीर, बदलने वाली है;
उम्मीदों का,
स्वप्निल संसार लिए जीता है।

बस थोड़ी सी दूरी,
अभी बाकी है;
थोड़ी सी मेहनत और कुद्दत,
अभी बाकी है;
ओझल मंजिल की,
आस लिए जीता है।

वक़्त गुजरता रहता है,
उम्र ढलती रहती है;
ठोकरों और झंझावातों से,
सांसे उखड़ती रहती हैं;
मरुस्थल में बारिश का,
आभास लिए जीता है।

बुरा भी तो नही,
कोई उम्मीद पालना,
उम्मीद के लिए,
संघर्ष के सांचे में ढालना;
बिना उम्मीद के यहां,
कोई इन्सान कहाँ जीता है।


हर शख्स यहाँ,
एक ख्वाब लिए जीता है।

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