[सम्पूर्ण प्रभुत्व
संपन्न, समाजवादी, धर्म निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य]
बनाने के लिए, तथा उसके
समस्त नागरिकों को
सामाजिक, आर्थिक,राजनैतिक न्याय
विचार, अभिव्यक्ति,
विश्वास, धर्मं और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की
समता प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा [राष्ट
की एकता और अखंडता]
सुनिश्चित करने वाली
बधुता बढ़ाने के लिए दृढसंकल्प होकर
अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवम्बर 1949 ई. (मिति मार्गशीष शुक्ला सप्तमी संवत दो
हजार छह
विक्रमी) को एतद्द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित
करते हैं।
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