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Sunday, December 10, 2023

तलाश




तलाश है,मुस्कान की,
वास्तविक और निश्छल;
निष्कपट और उच्छृंखल;
न हो कोई दिखावा, न हो कोई बनावटीपन,
अंतर्मन से उद्वेलित,
स्वतः एवं स्वयमेव प्रस्फुटित।

आवश्यक नही कि,
हम मुस्कुराएं,
हंसने का स्वांग रचें;
दर्द की दरिया को,
हंसी के मुखौटे से,
जबरन, दबाएं और कुंठित करें;
सिर्फ इसलिए कि,
क्या कहेंगे लोग,
हसेंगे लोग,
मुरझाया, शांत, विचलित देखकर।

समझ लो,
नही मिलेगी शांति, सुख
आनंद की अनुभूति,
मात्रा दिखावटी वेष बनाने से;
सज्जा लेप लगाकर,
चेहरा चमकाने से;
स्वीकार करो,
जो हो और जैसे भी हो,
तुम स्वीकार करो,
खुद की खूबसूरती को। 


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