इंसान जहां पर सिर्फ,
इंसान की बात करता है,
धर्म जाति भाषा क्षेत्र,
न वर्णिक विभेद करता है,
इंसानियत सभी का धर्म जहां,
इंसान ही पहचान होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
मानव मानव के बीच जहां,
सौहार्द प्रेम बसता है,
जीव जंतु प्रकृति के प्रति भी,
जहां सहयोग भाव बसता है,
वहां स्वर्गनुमा जीवन होगा,
स्वास्थ्य समृद्धि शांति होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
हर पल है खास,
हर दिन है महत्वपूर्ण,
चमचमाते चिरागों से,
रोशन करो जीवन संपूर्ण,
पूरा जहान होगा खुशनुमा,
जब हर घर में ज्योति होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
हर व्यक्ति सुखी होता है,
जहां हर जीव सुरक्षित होता है,
प्रेम करुणा सहानुभूति से,
हरमन अभिसिंचित होता है,
निश्चय सुखमय जीवन होगा वहां,
जहां इंसान की इबादत होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
धर्म जाति भाषा क्षेत्र,
न वर्णिक विभेद करता है,
इंसानियत सभी का धर्म जहां,
इंसान ही पहचान होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
मानव मानव के बीच जहां,
सौहार्द प्रेम बसता है,
जीव जंतु प्रकृति के प्रति भी,
जहां सहयोग भाव बसता है,
वहां स्वर्गनुमा जीवन होगा,
स्वास्थ्य समृद्धि शांति होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
हर पल है खास,
हर दिन है महत्वपूर्ण,
चमचमाते चिरागों से,
रोशन करो जीवन संपूर्ण,
पूरा जहान होगा खुशनुमा,
जब हर घर में ज्योति होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
हर व्यक्ति सुखी होता है,
जहां हर जीव सुरक्षित होता है,
प्रेम करुणा सहानुभूति से,
हरमन अभिसिंचित होता है,
निश्चय सुखमय जीवन होगा वहां,
जहां इंसान की इबादत होगी।
सोचो दुनिया कैसी होगी।
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