मां
मां भारती।
भारत माता।
क्या सिर्फ नारों में ही मां है?
ये जिम्मेदार
वो जिम्मेदार
ये सरकार
वो सरकार
इसमें माँ को क्यों होना पड़ रहा है परेशान?
कभी निष्पक्ष होकर सोच,
कभी निरपेक्ष होकर देख,
अपने आकाओं से,
अपने कुनबों से,
सुर बदलकर कर तो देख,
आंखों के चश्मे उतार कर तो देख,
ये दर्द,
ये पीड़ा महसूस कर के तो देख,
तू इन्सान है,
तेरे अंदर एहसास है,
यकीन है मुझे,
तू भी दर्द से बिलबिला जाएगा,
देख माँ की,
मायूस ममता,
तेरा पत्थर दिल भी,
मोम सा,
पिघल जाएगा।
नजरिये
तो तुमने विरासत में ली है,
तंग नजरिये से उन्मुक्त,
स्वच्छंद
सोचकर देख,
गमगीन हो जाएगा,
माँ की ऐसी,
बेबशी,
ऐसा दुख देख,
मन बोझिल हो जाएगा।
ये पत्थर दिल,
माँ की पीड़ा को एहसास कर,
मतकर जुल्म,
माँ को इतना मजबूर,
लाचार और बेचारी मत कर,
निर्बल अबला मां पर,
और सितम न कर,
रोक दो,
दस्ताने जुल्म,
कहीं ऐसा न हो,
दर्द का दरिया,
भयानक सुनामी बनकर,
तुम्हे अपने आगोश में ले ले,
तुम्हे सदा के लिए,
समा ले,
अपने अनन्त और अगाध,
गहराई में,
डुबा ले।
मां है,
मां भारती है,
भारत माँ है।
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