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Friday, February 14, 2020

बच्चा बच्चा पूछ रहा है

बच्चा बच्चा पूछ रहा है,
वतन के रखवालों से
सरकार में हो,
जनता के लिए;
शासन में हो,
जनता के लिए;
सेना में हो,
जनता के लिए;
तुम मंत्री हो,
जनता के लिए;
तुमे संत्री हो,
जनता के लिए;
तुम बाबू हो,
जनता के लिए;
चपरासी हो,
जनता के लिए;
अमन चैन सब छीन लिया,
क्यों अपने ही घरवालों ने।
आवाज चीख क्यों निकल रही,
खुद अपने ही दीवालों से।
जनता ही देश है,
जनता ही राष्ट्र है;
जनता जनार्दन है,
जनता ही श्रेष्ठ है।

पर जनता आज व्याकुल है,
जनता ही बेहद परेशान है;
अपनी ही मातृभूमि में,
अपने ही देश में,
अपने ही घरवालों से,
जनता आजिब है,
जनता बहत हैरान है।

बेचैनी है, बेबशी है;
और बवन्डर भी है,
अवाम के मन में,
जनता के मन में;
सवालों के समन्दर भी हैं,
सौहार्द, सुख, चैन के दुश्मन,
घर के बाहर ही नही,
घर के अन्दर भी हैं;
अपना ही घर क्यों जल रहा है,
खुद अपने ही मशालों से।

अमन चैन,
जनता मांगे,
सौहार्द प्रेम,
जनता मांगे,
रोजी रोटी,
जनता मांगे,
सस्ती बिजली,
जनता मांगे,
अच्छी शिक्षा,
जनता मांगे,
अच्छी सड़कें,
जनता मांगे,
रोजगार जनता मांगे;
क्यों मुल्क को उलझा दिया,
अनावश्यक सवालों से।

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