नकाबपोश
नकाबपोश शूरवीरों
ने,
अद्भुत इतिहास बनाया
है।
मुंह पर मास्क पहन
रात्रि में,
कैंपस में घुस जाते
हैं;
डंडे पत्थर कुल्हाड़ी,
गर्ल्स हास्टल में
बरसाते हैं;
निहत्थे बालिकाओं
पर,
सम्पूर्ण वीरता
दिखाया है।
वीर रस
मुंह को छिपा के
मास्क से,
रात्रि में निकल पड़े;
कुल्हाड़ी डंडे
पत्थरों से,
बालिकाओं पर बरस
पड़े;
चीख चिल्लाहटों से,
गर्ल्स हॉस्टल पुरे
भर गये;
वीरता मर्दागनी तुम,
निहत्थे गर्ल्स पर
दिखा गये;
बेमिशाल वीरता का,
मिशाल कोई है नही;
बहादुरी पर प्रश्न
का,
सवाल कोई है नही।
भक्ति
जय जय नकाबपोश
वीरों-2
तुम हो बहादुर-2
तुम असली हीरो;
जय जय नकाबपोश वीरों।
रात्रि में चेहरा
छुपाकर,
गर्ल्स हॉस्टल में
घुसते;
पत्थर डंडे
कुल्हाड़ी,
निहत्थों पर वार
करते।
चालीसा
जय जय जय नकाबपोश
गोसाईं,
तूने अजब वीरता
दिखाई;
रात्रि समय तूने भेष
छुपाकर,
डंडे कुल्हाड़ी पत्थर
लेकर,
गर्ल्स हॉस्टल में
तुम घुस आये,
निहत्थे गर्ल्स पर
हथियार चलाए।
शायरी
तेरे जैसा वीर
वफादार न हुआ, न होगा;
तेरी नमक हलाली,
वफादारी पर,
तेरा आका, तेरा बोस,
मेहरबान जरूर हुआ
होगा।
तूने अपनी जान की,
सुरक्षा की,
तनिक परवाह नही की,
फिकर नही की;
तेरी बचन परस्ती, तेरी वादा परस्ती देख,
तेरा मोगाम्बो जरूर
खुश हुआ होगा।
तूने मां और
मातृभूमि पर,
बड़ा उपकार किया है;
क्योंकि नकाबपोशी
हथियारबंद होकर,
मां भारती की
बेटियों पर,
प्रहार किया है,
प्रहार किया है।
सब लल्लू हैं क्या
जाने,
देशप्रेम क्या होता
है!
तूने सबको समझा
दिया,
देशप्रेम क्या होता
है।
नकाबपोश बनकर कैंपस
में घुसना,
देशप्रेम है;
हथियार लेकर रात्रि
में गर्ल्स हॉस्टल में घुसना,
देशप्रेम है;
निहत्थे बालिकाओं की
चीख पुकार के बावजूद,
उनपर कातिलाना वार
करना,
देशभक्ति है;
शिक्षा के मन्दिर
में,
डर का आतंक फैलाना,
देशभक्ति है;
आखिर यही तो है,
देशभक्ति और
देशप्रेम;
मां भी खुश और मां
भारती भी खुश;
गर्व है, नाज है,
ऐसे वीर सपूत पर,
मगैम्बो तो जरूर खुश
हुआ होगा।
बुंदेलों
नकाबपोश शूरवीरों
की,
हम सबने देखी कहानी
है;
निहत्थे निर्बल
छात्राओं पर,
इन सबकी दिखी
मर्दागनी है।
पुलिस प्रशासन के
रहते,
ऐ कैंपस में घुस
जाते हैं;
डंडे पत्थर
कुल्हाड़ी,
गर्ल्स हॉस्टल पर
बरसाते हैं;
इतिहास की वीर
गाथाओं में,
न इनकी कोई सानी है।
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