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Friday, February 14, 2020

मै भारत बोल रहा हूँ


आज मै बहुत दुखी हूँ,
मै बहुत स्तब्ध हूँ

ऋषियों ने, महात्माओं ने,
मेरा पालन किया, पोषण किया;
सम्राटों ने, राजाओं ने,
मुझे समृद्ध किया, सशक्त किया;
विदेशी आक्रान्ताओं से,
मेरा रक्षण किया;
जल जमीन पवन और,
विविध खनिज संपदाओं से,
मैं सहर्ष पूर्ति की,
आपूर्ति की;
विविध भाषा, जाति और धर्म का,
एक सुन्दर सौहार्दमय राष्ट्र बना;
सभी में प्रेम और भाईचारे के,
पुष्प पल्लवित हुए।

क्या हो गया, हमारे बच्चों को,
कभी जाति के नाम पर,
कभी धर्म के नाम पर,
कभी भाषा के नाम पर,
कभी क्षेत्र के नाम पर;
कैसा खुनी संघर्ष,
चल रहा है;
कोई राम का नाम लेकर,
सड़कों पर गोलियां चलाता है;
कोई रहमान का नाम लेकर,
उग्र प्रदर्शन, आगजनी करता है;
ऐ जज्बाती गोलियां और बोलियाँ,
मुझे छलनी कर रही हैं;
मेरे सीने को चीर रही हैं;
मुझे बीमार, असहाय
मजबूर बना रही हैं;
मै कराह रहा हूँ,
दर्द से;
आह निकल रही है,
मेरे कलेजे से;
मेरे ऊपर आघात हो रहा,
प्रतिघात हो रहा है;
मै घायल बेबश,
भारत बोल रहा हूँ।

पानी दूषित हो गया,
हवा जहरीली हो गई;
वन जंगल सारे कट गये,
खनिज संपदा सारी लुट गई;
धर्म का प्रभुत्व,
अर्थ में प्रभुत्व,
समाज में प्रभुत्व,
और राजनीतिक प्रभुत्व;
प्रभुत्व, शक्ति और महत्वाकांक्षा ने,
सबके मन को,
विषमय कर डाला,
दूषित कर डाला;
आपसी खूनी रंजिश और संघर्ष ने,
मुझे निरीह निर्बल कर डाला;
मै बेबश और व्याकुल,
भारत बोल रहा हूँ।

आमजन बहुत परेशान है,
व्याकुल और हैरान है;
आपस में लड़ाना छोड़ दो,
नफरत फैलाना छोड़ दो;
सबको सुख चैन से जीने दो,
शांति सौहार्द में रहने दो;
तेरी हैवानी हरकत से,
भारत का मान गिर जायेगा;
तेरे तुगलकी फरमानों से,
विदेशी हाथों बिक जायेगा;
तेरी नादानी, नासमझी से,
ऐ खुद ही नष्ट हो जायेगा;
मै परेशान, हताश, निराश
भारत बोल रहा हूँ।

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