व्यक्ति का व्यक्ति के प्रति,
दुनिया के प्रति,
पदार्थ जड़ जीव जन्तु के प्रति,
समस्त रचना,
समस्त ब्रह्मांड के प्रति,
खामोशी, एहसास, सुख एवं दुख के प्रति,
लाभ हानि, जीवन मरण के प्रति,
अच्छाई एवं बुराई के प्रति,
हर चीज, हर भाव,
हर क्षण प्रतिक्षण के प्रति,
समझ, अनुभव
परिभाषा और दर्शन,
बदलता रहता है,
वस्तु, स्थिति और व्यक्ति के प्रति,
व्यक्ति का दर्शन,
परिभाषा और परिकल्पना,
परिवर्तनशील रहता है,
परिवर्धित, परिवर्तित होता रहता है,
जानकारी और अनुभव में,
बदलाव होता रहता है।
परिभाषा और दर्शन,
समय और परिस्थितियों के सापेक्ष होते हैं,
वस्तुस्थिति बदलती है,
परिभाषा और दर्शन बदल जाते हैं।
आज के अनुभव,
सालों बाद के अनुभव में,
सालों पहले के अनुभव में,
जाहिर भेद हो जाता है।
हर चीज,
अनियत, अस्थिर और परिवर्तनशील है।
सुख और दुख भी,
कड़वे मीठे अनुभव भी,
विचार कल्पना भी,
मर्त्य है।
Change is very much constant in a changed man.Not the philosophy or definition.
ReplyDelete