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संकलन का कार्य प्रथम संस्थापक
गुरु नानकदेव के समय से ही शुरू हुआ।
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सन 1604 में पंचम गुरु
अर्जुन देव द्वारा संकलित और सम्पादित किया गया।
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सन 1705 में दशम गुरु
गोविन्द सिंह द्वारा इसे पूर्ण किया गया।
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कुल पृष्ठ 1430 हैं।
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गुरुमुखी लिपि और हिन्दी,
पंजाबी, ब्रजभाषा, खडी बोली,
संस्कृत, और फारसी
इत्यादि भाषाओँ और बोलियों में लिखी गई है।
आदि ग्रन्थ साहिब को गुरु मानते हैं और परम स्थान पर रखकर सम्मानित करते हैं।
सन्त
शबद
सन्त
शबद
कबीर दास
224
भीखन जी
2
नामदेव
61
सूरदास
1
रविदास
40
परमानन्द
1
त्रिलोचन जी
4
सैणजी
1
फरीद जी
4
पीपाजी
1
वेणी जी
3
सधना
1
भगत धंना जी
3
रामानंद
1
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