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Thursday, September 22, 2011

शांति और सकून


ये शांति और सकून

जाने क्या है

मिलती कहाँ है

माँ ने माथा चूमा

और बोली

तू सुन्दर और स्वस्थ रहे

यही सुख है यही शांती है

गुरु जी बोले तू पढ़

और अच्छे अंक प्राप्त कर

यही तेरा लक्ष्य है

इसी में सकून है, सुख है

लोगो ने कहा

खूब रूपये कमा

धन इकठ्ठा कर

गाड़ी खरीद मकान बना

पैसे जमा कर

इसी में सुख है शांती है

पड़ोसी ने कहा मुझसे

लड़ाई कर मुकदमा लड़

और अगर जीता तो यही सुख है सकून है

बीबी ने कहा मेरे लिए गहने खरीदो

क्योकि पड़ोसी के बीबी के पास खूब गहने है

कपडे है

मै खुश रहूगी तो

यही सुक्ष होगा यही शांती होगा

बेटा बोला मेरे खर्चे दिया करो

मेरे बाईक में हमेशा पेट्रोल और जेब में पैसा

हाथ में मोबाइल रहे

तो यही शांती है सकून है

दोस्तों ने बोला

होटल बाजी करे घूमे

गपशप करे

यही शांती है शकुन है

[परिवार और समाज ने कहा

पढ़ नौकरी पा और शादी कर

बच्चे पैदा कर

यही शांती है सकून है

पर मन को पता नहीं किस

अनजान मंजिल की तलाश रहती है

कही सुख नही दीखता

सब बकवास और नीरस

एक अजीब सा डर

सिहरन , धडकन , व्याकुलता

पर क्यों पता नहीं

कभी कुछ पाने के लिए कभी कुछ करने के लिए

पर क्या , पता नहीं

अपरिभाषित, बेनाम और अनजान

[प्रयास तो करता ही हूँ

जानने का, समझने का

पर न तो समझ में आता है

और न खुद को समझा ही पता हू

होकर बिबश

छोड़ देता हू समय पर

समय ! तू बलवान है महान है

और सर्व शक्तिमान है

जैसा समाधान हो

अच्छा बुरा , थोडा या अधिक

तुम्ही पर छोडता हू

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