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Wednesday, November 27, 2019

स्वतंत्रता की असली जागीर मांगता हूँ,



स्वतंत्रता की असली जागीर मांगता हूँ,

है भुखमरी गरीबी बदहाली और अशिक्षा,
अपराध मुक्त भारत की तस्वीर मांगता हूँ;
स्वतंत्रता की असली जागीर मांगता हूँ,
अन्याय मुक्त भारत की तस्वीर मांगता हूँ।

हम अगस्त और जनवरी में,
राष्ट्रीय पर्व है मनाते;
इक़बाल ऊधमसिंह की,
कहानियाँ (कुर्बानियां) सुनाते;
अंग्रेजों की हैवानियत की,
जुल्म दास्ताँ बताते;
विदेशियों से मुक्ति का,
बड़ा जश्न हम मनाते;
स्वतंत्रता के बाद भी, खस्ताहाल क्यों है भारत;
अय्याश शासकों से जबाब मांगता हूँ।

अजीब स्वास्थ्य संकट,
दयनीय अर्थव्यवस्था;
सफाई और पढाई का,
ढुलमुल (नाजुक) है व्यवस्था;
विलासिता में नेता,
मजबूर (असहाय) सारी जनता;
शासकों की शैतानियों से,
बुरा हाल है वतन का;
भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाये,
हर कूचे हर गली से ऐसा वीर मांगता हूँ।

क्या विदेशी सरकारों का,
बदल जाना है आजादी;
क्या हर पांच साल में,
चुनाव हो जाना है आजादी;
क्या अंग्रेजों का भारत से,
सिर्फ चले जाना है आजादी;
क्या चुनावी र्रैलियों की भीड़ से,
नेताओं के नारों में है आजादी;
क्या सत्ता और शासकों के,
गलियारों में है आजादी;
हर नागरिक के चेहरे से, मुस्कान न छिनने पाए;
एक स्वाभिमानी भारत की जमीर मांगता हूँ।

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