संगमरमर
के महलों में रहने वालों,
यह
पत्थर मिट्टी बन जायेगा;
अय्याशी
तेरी जीवनशैली,
सब
कुछ ख़ाक हो जायेगा।
सतत
संघर्षों की बदौलत,
तुमने
सारी शोहरत पाई;
शिक्षा
संपदा और स्वाभिमान,
तुमने
अकूत दौलत पाई;
तुमने
यदि संघर्ष किया नही,
सब
हाथ से निकल जायेगा।
लक्जरी
गाड़ी महंगे बंगले,
जो
बैंक बैलेंस बनाया है;
ब्रांडेड
जूते और कोट पहन,
बादाम
इमरती खाया है;
समय
रहे यदि समझा नही,
फिर
से फ़कीर हो जायेगा।
भोगविलासी
अय्याशी,
तू
अजब अकड़ में रहता है;
कारवां
चलाने वालों की,
कोई
बात नही सुनता है;
समझाने
से यदि न सुधरा,
सारी
अकड़ दफा हो जायेगा।
जाबांज
वीर महापुरषों के,
कुर्बानियों
के कर्जदार हो तुम;
समाज
से धोखा करने का,
गुनाहगार
और गद्दार हो तुम;
एहसान
फरामोश विश्वासघाती,
तेरी
हेकड़ी भी निकल जायेगा।
अपनों
से दूर रहकर अपनी,
मक्कार
असीलियत दिखलाया;
समाजहित
में जीना मरना,
बच्चों
को भी न सिखलाया;
है
ऋणी खून का हर कतरा,
यह
वक्त तुम्हे बतलायेगा।
पूर्वज
से मिले अधिकारों का,
संरक्षण
भी तू कर न सका;
पुरुखों
के बहुमूल्य विचारों का,
संवर्धन
भी तू कर न सका;
जब
तेरी अति दुर्गति होगी,
तू
भौचक्का (देखता) रह जायेगा।
खुद
कारवां न बन सके अगर,
न
किसी की टांग खिचाई करना;
मिशन
चलाने वालों की,
तुम
हौसलाफजाई करना;
तेरे
इन छोटे से प्रयास से,
मजबूत
(महा) मुहिम बन जायेगा।
विद्रोह
की सुन्दर परिपाटी,
तूने
मृतपाय सा कर डाला;
पड़
टीवी बीबी के चक्कर में’
(पड़
धन दौलत के चक्कर में)
हालात
ऐ सूरत सब बदल डाला;
तकदीर
बनाने वालों तेरा,
वजूद
भी मिट जायेगा।
करके
परित्याग घरौंदों को,
खुली
सड़कों पर संघर्ष करो;
स्वाभिमानी
जीवन जीने के लिए,
अपनी
आवाज बुलंद करो;
मर
गया यदि मानवता के लिए,
मरकर
भी अम्रर हो जायेगा।
पिछली
पीढ़ी का बलिदान है,
जो
कुछ भी तुमने पाया है;
अपनी
अगली पीढ़ी के लिए,
क्या
कोई प्लान बनाया है;
यदि
जंग हेतु तत्पर न रहा,
सब
कुछ लतपथ हो जायेगा।
कभी
बच्चों की पढाई का,
कभी
बिटिया की सगाई का;
कभी
बीबी की दवाई का,
कभी
आफिस में रोज लड़ाई का;
दुनिया
की दुहाई देते देते,
दुनिया
से ही मिट जायेगा।
20.09.2019
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