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Saturday, November 30, 2019

बंधुता, समानता और इंसाफ


बंधुता, समानता और इंसाफ,
की बात करना है;
मोहब्बत की अनोखी,
मिशाल कायम करना है।

सद्भाव हो सभी में,
न बैर हो किसी में;
दिलकश दिल्लगी का,
हो भाव हर किसी में;
आनंद की अनुभूति का,
निजाम कायम करना है।

जीवन है एक सफर,
हम सब मुसाफिर है यहाँ;
ककडीले पथरीले रास्तों पर,
एक दूसरे की जरुरत है यहाँ;
हम सब को मिलकर यहाँ,
मुकाम हासिल करना है।

कुछ दिनों का ही यह जीवन है,
कुछ दिन की ही ऐ कहानी है;
दुनिया का सारा सुख वैभव,
दुनिया में ही रह जानी है;
जीवन के इस अविरल बहाव में,
हम सबको साथ निभानी है;
विकट समय में साथ का,
एहसास कायम करना है।

दुनिया का सारा सुख वैभव,
सब दुनिया में ही रह जाता है;
जीवन सफर को कवर कर,
जब इन्सान चला जाता है;
संपत्ति की संकुचित सोच पर,
पूर्ण विराम करना है।

हम सबके साथ चलने का,
बड़ा प्यारा मंजर होगा;
हर हाल में हाथ पकड़ने का,
जब जज्बा अन्दर होगा;
तूफानी संकट में भी,
सबको साथ निभाना है।
(हम सबको साथ चलना है)

जाति धरम लिंग भाषा का,
भेद नही करना है;
मानव होकर मानव से,
मतभेद नही करना है;
इन्सान है इंसानियत की,
पहचान कायम करना है।

मोहब्बत दवा है,
मोहब्बत ऊर्जा है;
शान्ति है सकून है,
सुख है सम्पदा है;
मजलिस ऐ मोहब्बत का,
(मन में मोहब्बत का)
मिजाज कायम करना है।

मजबूर बेसहारा कहीं,
कोई लाचार नही हो;
निर्बल और निर्धनों पर,
कोई अत्याचार नही हो;
दुनिया में वास्तविक,
इंसाफ कायम करना है।

इन्सान है तो इंसानियत का,
सबूत चाहिए;
इन्सान में रूहानी रिश्ते,
मजबूत चाहिए;
दरियादिली जिन्दादिली का,
मशाल कायम करना है।

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