मंदिर
मस्जिद की चौखट पर,
नित
नाक रगड़ने वालों;
गिरिजाघर
गुरुद्वारों,
बौध
विहारों को पूजने वालों;
सच्चाई
बतलाओ जग को,
रहता
है भगवान कहाँ।
मुल्ला
कहता है मस्जिद में,
पंडित
कहता है मन्दिर में;
सिख
कहता गुरूद्वारे में,
क्रिस्चियन
कहता गिरिजाघर में;
क्या
रहता कैद इन पिजड़ों में,
मुझे
तुम बतलाओ यहाँ।
गिरिजाघर
में गूंजे अंग्रेजी,
मस्जिद
से निकालती है अरबी;
मन्दिर
से संस्कृत मंत्र बजे,
गुरूद्वारे
से आती पंजाबी;
भगवानों
की भाषा क्या सीमित है,
साफ़
साफ़ करो बयाँ यहाँ।
कोई
कहता रहता कुरानों में,
कोई
कहता वेद पुरानों में;
कोई
कहता रहता बाइबिल में,
कोई
कहता गुरु ग्रन्थ साहिब में;
क्या
सिमटा भगवान इन पन्नों में,
बड़ी
दुविधा में इन्सान यहाँ।
कोई
कहता गिरिजाघर में प्रेयर कराने से,
मंदिर
में आरती कराने से;
मस्जिद
में बांग लगाने से,
गुरूद्वारे
में सिमरन कराने से;
पाखंडी
पूजा पद्धति से,
कब
मिला किसी को भगवान कहाँ।
कोई
सर पर पगड़ी पहनता है,
कोई
सर पर टोपी रखता है;
कोई
सूटबूट में रहता है,
कोई
चोला गेरुआ रंगता है;
फैशन
भी अलग इन भगवानो का,
है
अजीब दास्तान यहाँ।
असहायों
पर अन्याय देख,
भगवान
बचाने नही आता है;
तालों
की पहरेदारी में भी,
भगवान
खुदी छिप जाता है,
इन्सान
सुरक्षित कैसे हो सकता है जब,
है
स्वयं असुरक्षित भगवान यहाँ।
भगवान
बड़ा एक भ्रम है यहाँ,
साजिस
की असीलियत तुम जानो;
मानसिक
गुलाम न बन जाओ,
सब
छिपी हकीकत पहचानो;
सब
खेल है मूर्ख बनाने का,
न
रहता कोई भगवान यहाँ।
06.09.2019
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