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Wednesday, November 27, 2019

जनता को जगाना होगा



जब तानाशाही शासक का,
आतंक हद से बढ़ जाए;
जुल्म के खिलाफ बोलने की,
आजादी भी घट जाए;
इस देश को मुक्त कराने को,
खुद आगे आना होगा।

जन आक्रोश को झेल सके,
ऐसी कोई सरकार नही;
जनता के जिद को तोड़ (रोक) सके,
ऐसी कोई दीवार नही;
जन जन में आजादी का,
बस अलख जगाना होगा।
(इस देश का मान बचाने को,
जनता को जगाना होगा।)

है गलत अगर कोई जुल्म करना,
अपराध भी है फिर जुल्म सहना;
अन्याय तुम्हे अगर कहीं दिखता है,
तुम्हे हिम्मत दिखाना होगा।

अन्यायी बलशाली न बन जाए,
यह ध्यान तुम्हे रखना होगा;
आतंक हिमालय न बन जाए,
तुमको नजर रखना होगा;
(इसकी भी खबर रखना होगा)
कदाचार के बीज को,
आरम्भ में मिटाना होगा।

सरकारों के बन जाने से,
कभी कोई देश न उनका हो जाता;
जनता ही होती देश,
कभी सरकार देश न बन जाता;
देश के नाम पर सरकारें,
मौज और मनमानी करती है;
जोर जोर का नारा लगाकर,
जनता को गफलत में रखतीं है;
सरकारों की साजिश से,
सबको चेतना होगा।

जनादेश जनता का होता,
जनता ही मालिक होती है;
देश की सत्ता संसाधन का,
जनता ही वालिद होती है;
जन जन की ताकत अति विशाल,
जन जाग्रति फैलाना होगा।

जनता ईश्वर, जनता परमेश्वर,
जनता ही दादी, जनता पर दादी;
जनता ही गुरु, जनता ही अम्मा,
जनता की ताकत, एक बड़ा अचम्भा;
जनता खुद है अति बलशाली,
यह सबको समझाना होगा।
(यह बात बताना होगा)

कौन है जिसने बिशाल समन्दर की,
गहराई को नापी है;
(गहराई का पता लगाया है)
लाखों मील दूर ग्रहों पर,
अपने पताके फहराया है;
(धरती आसमान समन्दर पर,
विजय पताका फहराया है)
सभी प्राणी में है सर्वश्रेष,
सारी सृष्टि को बतलाया है;
जनता के लिए असंभव कुछ भी नही,
यह एहसास दिलाना होगा।
04.09.19

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