जब तानाशाही शासक
का,
आतंक हद से बढ़ जाए;
जुल्म के खिलाफ
बोलने की,
आजादी भी घट जाए;
इस देश को मुक्त
कराने को,
खुद आगे आना होगा।
जन आक्रोश को झेल
सके,
ऐसी कोई सरकार नही;
जनता के जिद को तोड़
(रोक) सके,
ऐसी कोई दीवार नही;
जन जन में आजादी का,
बस अलख जगाना होगा।
(इस देश का मान
बचाने को,
जनता को जगाना होगा।)
है गलत अगर कोई
जुल्म करना,
अपराध भी है फिर जुल्म
सहना;
अन्याय तुम्हे अगर
कहीं दिखता है,
तुम्हे हिम्मत
दिखाना होगा।
अन्यायी बलशाली न बन
जाए,
यह ध्यान तुम्हे
रखना होगा;
आतंक हिमालय न बन
जाए,
तुमको नजर रखना
होगा;
(इसकी भी खबर रखना
होगा)
कदाचार के बीज को,
आरम्भ में मिटाना
होगा।
सरकारों के बन जाने
से,
कभी कोई देश न उनका
हो जाता;
जनता ही होती देश,
कभी सरकार देश न बन
जाता;
देश के नाम पर
सरकारें,
मौज और मनमानी करती
है;
जोर जोर का नारा
लगाकर,
जनता को गफलत में
रखतीं है;
सरकारों की साजिश
से,
सबको चेतना होगा।
जनादेश जनता का
होता,
जनता ही मालिक होती
है;
देश की सत्ता संसाधन
का,
जनता ही वालिद होती
है;
जन जन की ताकत अति
विशाल,
जन जाग्रति फैलाना
होगा।
जनता ईश्वर, जनता
परमेश्वर,
जनता ही दादी, जनता
पर दादी;
जनता ही गुरु, जनता
ही अम्मा,
जनता की ताकत, एक
बड़ा अचम्भा;
जनता खुद है अति
बलशाली,
यह सबको समझाना होगा।
(यह बात बताना होगा)
कौन है जिसने बिशाल
समन्दर की,
गहराई को नापी है;
(गहराई का पता लगाया
है)
लाखों मील दूर
ग्रहों पर,
अपने पताके फहराया
है;
(धरती आसमान समन्दर
पर,
विजय पताका फहराया
है)
सभी प्राणी में है
सर्वश्रेष,
सारी सृष्टि को
बतलाया है;
जनता के लिए असंभव
कुछ भी नही,
यह एहसास दिलाना
होगा।
04.09.19
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