Followers

Wednesday, November 27, 2019

ऐ आग नही बुझने देना



ऐ आग नही बुझने देना

मानवता की मशाल बनकर,
तुम सदा ही जलते रहना;
विद्रोह बवन्डर को ऐ शूरबीर,
तुम आग न बुझने देना

क्या हुआ सत्ता संसाधन पर,
गर आततायी का राज हुआ;
बहशी और बलशाली राजाओं से,
संतापित पूरा संसार हुआ;
कुछ भी हो प्रतिशोध की ज्वाला,
ऐ वीरों न रुकने देना।

सत्ता संपत्ति छिन जाने से,
कोई फ़कीर नही बन जाता है;
पर स्वाभिमान मर जाने से,
इन्सानी जमीर ही मिट जाता है;
अभिमान का मान सदा ऊंचा रखना,
ऐ वीरों न झुकने देना।

महाकाय दुर्दम पर्वत की,
मजबूत जड़ें हिल जातीं है;
भूकम्प के भयंकर तवाही से,
मलबे मिट्टी में मिल जाते हैं;
धैर्य पराक्रम और साहस,
हिम्मत को न हारने देना।

जब जुल्म हद से बढ़ जाए,
तुम राह तूफानी अपनाना;
जब पानी सर से गुजर जाए;
तुम खुद ही सुनामी बन जाना;
परिवर्तन का महावेग,
किसी हाल न रुकने देना।

रातें कितने भी अँधेरी हों,
हर रोज सबेरा आता है;
परिस्थितियाँ कितनी भी प्रतिकूल हों,
हालातों में बदलाव तो आता है;
आवाज बुलन्दी जुनूनी जज्बे को,
तुम कभी न टूटने देना।

No comments:

Post a Comment