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Tuesday, November 26, 2019

इन्सान




इन्सान तो दिखता है,
पर इन्सान नही होता

सिरफ रंग रूप बोली बनावट से,
कोई पहचान नही होता;
तराशने से कीमती पत्थर भी,
कभी भगवान नही होता;
इंसानियत जरूरी है इन्सान के लिए,
केवल पाखण्डी अभिनय से,
मानवता का कोई काम नही होता।

कार्य और व्यवहार में,
भरी पड़ी है क्रूरता;
चाल और चालाकियों से,
सनी पड़ी है धूर्तता;
पुरुषार्थ जरूरी है इन्सान के लिए,
केवल खुदाई का नाम लेने से,
हर काम नही होता।

क्या फर्क है तुझमे और जानवर में,
यदि स्वार्थी प्रवृति पर पलते हो;
अपने सितारे बुलंद करने को,
तुम अपने को ही छलते हो;
अपनापन भी जरूरी है इन्सान के लिए,
केवल स्वार्थ सिद्धि से,
कोई जानवर इन्सान नही होता।

हर बार वार प्रहार तुम,
इंसानियत पर करते हो;
जुल्मो सितम छिपाने की,
हर हाल कोशिश करते हो;
परमार्थ भी जरूरी है इंसान के लिए,
केवल आडम्बर दिखाने से,
कोई शैतान इन्सान नही होता।

इन्सान हो तो इंसानियत का,
दम दिखलाओ;
यदि भाई हो तो भाईचारे का,
एहसास कराओ;
यह चुनौती जरूरी है इन्सान के लिए,
केवल आसमानी पताका फहराने से,
भाईचारे का काम नही होता।

इंसानों ने इंसानों की,
बस्तियां जलाई है;
धर्म जाति की चिंगारी,
मासूम मनों में भड़काई है;
शांति और सौहार्द जरूरी है इन्सान के लिए,
बेवजह इस दुनिया में,
कोई बदनाम नही होता।
25.08.2019


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