इन्सान तो दिखता है,
पर इन्सान नही होता।
सिरफ रंग रूप बोली
बनावट से,
कोई पहचान नही होता;
तराशने से कीमती
पत्थर भी,
कभी भगवान नही होता;
इंसानियत जरूरी है
इन्सान के लिए,
केवल पाखण्डी अभिनय
से,
मानवता का कोई काम
नही होता।
कार्य और व्यवहार
में,
भरी पड़ी है क्रूरता;
चाल और चालाकियों से,
सनी पड़ी है धूर्तता;
पुरुषार्थ जरूरी है
इन्सान के लिए,
केवल खुदाई का नाम
लेने से,
हर काम नही होता।
क्या फर्क है तुझमे
और जानवर में,
यदि स्वार्थी
प्रवृति पर पलते हो;
अपने सितारे बुलंद
करने को,
तुम अपने को ही छलते
हो;
अपनापन भी जरूरी है
इन्सान के लिए,
केवल स्वार्थ सिद्धि
से,
कोई जानवर इन्सान
नही होता।
हर बार वार प्रहार
तुम,
इंसानियत पर करते
हो;
जुल्मो सितम छिपाने
की,
हर हाल कोशिश करते
हो;
परमार्थ भी जरूरी है
इंसान के लिए,
केवल आडम्बर दिखाने
से,
कोई शैतान इन्सान
नही होता।
इन्सान हो तो
इंसानियत का,
दम दिखलाओ;
यदि भाई हो तो
भाईचारे का,
एहसास कराओ;
यह चुनौती जरूरी है
इन्सान के लिए,
केवल आसमानी पताका
फहराने से,
भाईचारे का काम नही
होता।
इंसानों ने इंसानों
की,
बस्तियां जलाई है;
धर्म जाति की
चिंगारी,
मासूम मनों में
भड़काई है;
शांति और सौहार्द
जरूरी है इन्सान के लिए,
बेवजह इस दुनिया में,
कोई बदनाम नही होता।
25.08.2019
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