बादशाहों से पूछ रहा,
एक तिनका जमीन का।
शोहरतों की चादर, तूने
फैलाई;
अमीरियत का मंजर,
तूने दिखलाई;
आसमानी हसरतों के
आमद में,
आजीवन डूबा रहा;
सत्ता और शक्ति के
नशे में,
दिन रात धुत रहा।
रखी न खबर तुमने,
हालात ए हकीकत;
बहुत ही नाजुक होते
है पल,
अच्छे और बुरे दिन
का।
अपने चैन के खातिर,
लाखों के चैन,
चकनाचूर किया;
मासूम छातियों को
कुचलकर,
मनमानियों में खुद
को मशहूर किया;
खुद की शान शौकत पर,
घमण्डी सा गुरूर
किया;
नर पिशाचों का रूप
धारण कर,
निर्दोषों का खून
किया;
साक्षी है तेरे
जुल्मो का,
हर जर्रा जमीन का।
मैं हूँ एक तिनका,
मुझे कमजोर न समझ;
वक़्त के झंझावात,
जब तुम्हे अपने
आगोश में लेंगे;
भयंकर तवाहियों से
जब,
तेरी रूह टूटेगी;
काल के भयानक भंवर
में
तेरी हस्ती डूब
जायेगी;
याद रखना इंसानियत
के दुश्मन,
मै एक छोटा सा तिनका,
तेरी चिता को भभकाने,
जलाने के काम आऊंगा;
तेरी बरबादियों का
मंजर भी देखेगा,
हर कतरा, हर तिनका
जमीन का।
24.08.2019
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